कर्नाटक राज्य में नेतृत्व में बदलाव को लेकर सरगर्मी एक बार फिर तेज़ हो गई है. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को हटाने को लेकर ऐसी मुहिम पिछले एक साल से चल रही है लेकिन येदियुरप्पा पहली बार अपना बचाव करते नज़र आ रहे है. उनके पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चल रहा है. येदियुरप्पा के राजनीतिक सचिव रेनुकाचार्य ने उन MLA के दस्तखत दिखाए जो येदियुरप्पा के साथ हैं. जानकारी के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 118 में से 65 के आसपास विधायकों का हस्ताक्षर इसमें हैं. रेनुकाचार्य कहते हैं, 'मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह रहा हूं कि 65 विधायकों ने इस पर दस्तखत किए हैं. कोई अगर कहे कि सीएम के बेटे विजेंद्र के कहने पर यह सब हुआ है तो वह कह सकते हैं, लेकिन यही यह है कि ये सब विधायकों की मर्जी से हो रहा है. सीम येदियुरप्पा के निर्देश पर यह नहीं हो रहा है. हम लोग यह कर रहे हैं क्योंकि मैं भी विधायक हूं.'
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सीएम के खिलाफ विरोध के इन उठते सुरों के बीच सवाल ये उठता है कि कद्दावर लिंगायत नेता येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ आवाज़ कौन उठा रहा है और इसका कारण क्या है? इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह येदियुरप्पा परिवार की ओर से सभी मंत्रालयों के तहत होने वाले ट्रांसफर और पोस्टिंग में हस्तक्षेप बताया गया है. इसके अलावा येदियुरप्पा की उम्र भी एक फैक्टर है, सीएम 78 वर्ष के हैं. बताया जाता है कि येदियुरप्पा के खिलाफ लंबे समय से बिगुल बजाने वाले संघ के कद्दावर नेता बीएल संतोष की शह पर यह हो रहा है. हालांकि इस बार येदियुरप्पा पहले की तुलना में ज्यादा दबाव में नजर आ रहे हैं.मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया मांगने पर इतना ही कहा, 'मैं इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता. सिर्फ यहीं कहना चाहता हूं कि जब तक पार्टी आलाकमान का भरोसा मुझ पर है, मैं मुख्यमंत्री बना रहूंगा और जिस दिन वह कहेंगे मैं इस्तीफा दे दूंगा.'
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दूसरे शब्दों में कहें तो कर्नाटक में सियासी हलचल फिर तेज हैं. बीजेपी आलाकमान यह सोचते हुए फूंक-फूंककर कदम उठा रहा है कि येदियुरप्पा को हटाना कहीं उसके लिए 'गले की फांस' न बन जाए. वैसे, येदियुरप्पा को हटाने की मुहिम इस बार कितनी तेज है, इसका अंदाज़ा हस्ताक्षर अभियान से लगाया जा सकता है जो सीएम अपने विरोधियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए चला रहे हैं.
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