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पोस्टर पर शहीद बेटे का फोटो चूमने लगी मां... करगिल की बरसी पर इस तस्वीर ने कलेजा चीर दिया

शहीद मोहिंदर राज (Kargil Vijay Diwas) की मां कमल और पिता मोहनलाल बेटे के बलिदान पर गर्वित जरूर हैं लेकिन कहीं न कहीं दिल में अकेले होने का गम भी है कि उन्होंने अपने इकलौते बेटे को खो दिया.

पोस्टर पर शहीद बेटे का फोटो चूमने लगी मां... करगिल की बरसी पर इस तस्वीर ने कलेजा चीर दिया
Karggil War 25th Anniversary: शहीद बेटे को चूमती मां.
दिल्ली:

करगिल विजय दिवस की 25वीं सालगिरह (Kargil Vijay Diwas) गुरुवार को मनाई गई. पूरे देश से करगिल के शहीदों को याद किया. इस दौरान करगिल युद्ध के दौरान देश पर प्राण न्योछावर करने वाले शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई. जगह-जगह शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित किए गए. पंजाब के जालंधर के वार मेमोरियल पर शहीदों की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. विजय दिवस पर वार मेमोरियल से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो कलेजा चीर कर रख देगी. श्रद्धांजलि सभा में पहुचीं एक शहीद (Martyrs Mohindra Raj) की मां वहां अपने बेटे की फोटो देखकर भावुक हो गईं. वह खुद को रोक नहीं पाईं और वहां लगे शहीदों के फोटो वाले होर्डिंग की पास पहुंचीं और बेटे की तस्वीर को चूमने लगीं. जिस किसी ने भी उस मां को देखा, वह भावुक हो गया. 

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देश की आन,बान और शान पर 25 साल पहले अपने बेटे को न्योछावर कर देने वाली मां के दिल में उसकी शहादत पर फक्र तो जरूर होगा लेकिन साथ ही वह मंजर फिर से याद कर कलेजा मुंह को आ जाता होगा, जब उन्होंने अपने जवान बेटे को खो दिया. इस पल ने ये साफ कर दिया कि बेटा भले ही इस दुनिया में हो या न हो  लेकिन मां का प्यार कभी मरता नहीं. शहीद डिप्टी कमांडेंट मोहिंदर राज की मांग की इस तस्वीर की चर्चा हर तरफ हो रही है.

कौन थे शहीद मोहिंदर राज?

डिप्टी कमांडेंट मोहिंदर राज पंजाब के कपूरथला में प्रोफेसर थे. लेकिन दिल में देशभक्ति का जज्बा था. जिस वजह से वह अपने माता-पिता से छिपकर सेना में शामिल होने के लिए परीक्षाएं देने लगे. फिर वो दिन आया जब उनको देश सेवा का मौका मिला. वह बीएसएफ में कमांडेंट बन गए. महज 30 साल की उम्र में उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया. दुश्मनों से लोहा लेते हुए 13 जुलाई 1999 को मोहिंदर राज ने देश के लिए शहादत दे दी. 

क्या है शहीद मोहिंदर राज के माता-पिता का हाल?

शहीद मोहिंदर राज की मां कमल और पिता मोहनलाल बेटे के बलिदान पर गर्वित जरूर हैं लेकिन कहीं न कहीं दिल में अकेले होने का गम भी है. उन्होंने अपने इकलौते बेटे को खो दिया. सालों पहले एक कार्यक्रम में मोहिंदर राज के पिता अपने बेटे को याद कर अपने आंसू नहीं रोक सके थे. उन्होंने कहा था कि उनका बेटा बहुत ही पढ़ा-लिखा था. अब सिर्फ उसकी यादें हैं. वहीं उनकी मां कमल ने कहा था कि वह पूरे साल उस दिन का इंतजार करती हैं, जब उनके बेटे को बलिदान को लोग एक बार फिर से याद करेंगे. अब एक बार फिर से छिल छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है.

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