"यह फैसला मेरा अपना है, कांग्रेस से कोई शिकायत नहीं है और न रहेगी" : NDTV से बोले कपिल सिब्‍बल

कांग्रेस की तरह सपा भी परिवारवादी पार्टी है, इस सवाल पर सिब्‍बल ने कहा कि अखिलेश यादव काबलियत दिखा चुके हैं और वे यूपी के सीएम रह चुके हैं.

नई दिल्‍ली :

वरिष्‍ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्‍बल (Kapil Sibal) ने भी कांग्रेस को बाय-बाय कह दिया है. कांग्रेस पार्टी में रहकर पिछले कुछ समय तक संगठनात्‍मक बदलाव की बात मुखरता से उठाते रहे सिब्‍बल ने कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद NDTV से बात की और विभिन्‍न सवालों के साफगोई से जवाब दिए. सिब्‍बल अब समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय के तौर पर राज्यसभा जाएंगे. सिब्बल का सपा समर्थन कर रही है. निर्दलीय के तौर पर उच्‍च सदन जाने का विचार कब आया, इस सवाल पर सिब्‍बल ने कहा, "हमारी अखिलेश जी से बात हुई थी. कई पार्टियों हमारे पास आई थीं और उनसे जुड़ने करने का आग्रह किया था लेकिन मैं बयान दे चुका था कि मैं जीतेजी बीजेपी में तो जाऊंगा भी नहीं और किसी दल में भी शामिल नहीं होऊंगा. मैंने पब्लिकली बोल रखा था, ऐसे में मैंने उन्‍हें कहा कि मैं किसी दल में नहीं जाऊंगा. अगर आपको उचित लगे तो निर्दलीय के रूप में राज्‍यसभा  नामांकन दाखिल कर सकता हूं. आपको ठीक लगे तो सपोर्ट कर दीजिए. इस पर उन्‍होंने कहा कि बिल्‍कुल हम चाहते हैं कि आपके जैसे लोग राज्‍यसभा में आएं.फिर भले ही आप किसी दल में न आएं.' 

इतना अर्सा गुजारने के बाद कांग्रेस को 'बाय बाय' कहने का कारण पूछने पर सिब्‍बल ने कहा कि एक दल में नियोक्‍ता-कर्मचारी जैसे रिश्‍ता नहीं होता. उन्‍होंने कहा, "मुझे लगा 30 साल बाद मुझे नया रास्‍ता अपनाना चाहिए. यह निजी सोच होती है. यह फैसला मेरा अपना है. मुझे कांग्रेस से शिकायत नहीं है और न रहेगी. पार्टी के नेता लोग मेरे दोस्‍त हैं और रहेंगे. जो कांग्रेस की विचारधारा है, उससे जुड़ा रहूंगा. मैं विचारधारा छोड़ नहीं रहा. हां निर्दलीय के तौर पर में मैं राज्‍यसभा में जीत गया तो प्रवेश करूंगा. इसी संदर्भ में मैने सोचा अखिलेश जी साथ देते हैं तो क्‍यों न उनका समर्थन लिया था. यह उनका बड़प्‍पन है किउन्‍होंने साथ दिया. '  कांग्रेस में असंतुष्‍टों की आवाज नहीं सुने जाने संबंधी प्रश्‍न पर सिब्‍बल ने कहा, 'मुझे लगा कि नया रास्‍ता अपनाना चाहिए. कांग्रेस अच्‍छी चल रही है या नहीं चल रही, मुझे इस पर कोई टिप्‍पणी नहीं करनी. कांग्रेस एक नेशनल पार्टी है, मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं. इतिहास में जो हुआ नहीं हुआ उस पर टिप्‍पणी नहीं करनी है. यह पूछने पर कि आप जैसा वरिष्‍ठ नेता भी कांग्रेस  छोड़कर जा रहा और  28 साल का हार्दिक पटेल भी छोड़ रहा. क्‍या सिस्‍टम में कोई गड़बड़ी है...सिब्‍बल ने डिप्‍लोमेटिक अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि आपने चंद लोगों की बात की. करोड़ों कार्यकर्ता तो पार्टी छोड़कर नहीं जा रहे है. 

आप परिवारवादी मानी जाने वाली पार्टी (कांग्रेस) को छोड़कर गए हैं तो लोग यही कहेंगे कि सपा भी परिवारवादी पार्टी है, इस सवाल पर सिब्‍बल ने कहा कि अखिलेश यादव काबलियत दिखा चुके हैं और वे यूपी के सीएम रह चुके हैं. राज्‍यसभा में नए रोल के बारे में पूछे जाने पर उन्‍होंने कहा, "निर्दलीय के रूप में इंडिपेंडेट आवाज उठाऊंगा. कई बार आप स्‍वतंत्र आवाज नहीं उठा पाते क्‍योंकि दल के साथ जुड़े होते हैं. दल जो कहता है, वहीं करना होता है. मुझे पहली बार मौका मिलेगा कि अपनी आवाज रखूंगा. जो मेरे मन में होगा, वह कहूंगा." उन्‍होंने कहा, "अपनी वरिष्‍ठता का उपयोग करते हएु सब लोगों को जोड़ने का प्रयास करूंगा. सबके साथ मेरे अच्‍छे संबंध है.विचारधारा सभी (विपक्षी दलों) की लगभग एक है. ऐसे में जोड़ा जा सकता है. हालांकि यह आसान काम नहीं होगा.  कांग्रेस में बदलाव की मुखर आवाज क्‍या आपके पार्टी से बाहर जाने के बाद दब जाएगी, इस पर सिब्‍बल ने कोई भी टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया.

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