कानपुर में 8 पुलिस वालों की हत्या के आरोप में कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) की तलाश में पूरा पुलिस महकमा लगा हुआ है. गुरुवार देर रात विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम को दुबे और उसके साथियों ने मौत के घाट उतार दिया था. इस मामले में पुलिस को किसी अपने के 'भेदिए' होने का शक है. मुखबिर का पता लगाने के लिए चौबेपुर थाने के ऊपर जांच बैठा दी दी गई है. यह पता करने की कोशिश की जा रही है किस पुलिस वाले ने मुखबिरी की है. वहीं, पुलिस ने मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के प्रभारी विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया है. चौबेपुर थाने के 3 और पुलिसवालों को निलंबित किया गया है.
इस बीच, शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की एक चिट्ठी सामने आई है. जिसमें एसओ विनय तिवारी और विकास दुबे की मिलीभगत का दावा किया गया है. मार्च महीने में यह चिट्ठी एनकाउंटर में शहीद क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा की ओर से तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखी गई थी. इसमें कहा गया, "13 मार्च को विकास दुबे के खिलाफ एक मामला पंजीकृत हुआ था. जिसमें विवेचना करने वाले अधिकारी ने धारा बदल दी थी. पत्र में सीओ मिश्रा ने लिखा है कि धारा बदलने के बारे में पूछने पर विवेचक ने बताया कि थानाध्यक्ष के कहने पर धारा हटाई गई है."
मिश्रा ने एसएसपी को लिखी चिट्ठी में कहा था कि ऐसे दबंग कुख्यात अपराधी के खिलाफ थानाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई नहीं करना और सहानुभूति बरतना संदिग्ध है. यदि थानाध्यक्ष ने अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं किया तो गंभीर घटना हो सकती है.
कानपुर जोन के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा है कि एक चिट्ठी हमें मीडिया के जरिए मिली है. इस पर एसएसपी दफ्तर से फाइल मंगवाई है. इसके बाद कार्रवाई करेंगे.
इससे पहले, आईजी मोहित अग्रवाल ने रविवार को एनडीटीवी को बताया, 'डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्र की अगुवाई में रेड के लिए गई पुलिस की टीम में विनय तिवारी शामिल तो हुए लेकिन विकास के घर पहुंचने से पहले ही वह टीम को छोड़कर भाग गए. इसलिए वो शक के दायरे में हैं और उनकी भूमिका की जांच हो रही है'. अग्रवाल ने कहा कि अगर पूर्व थाना इंचार्ज विनय तिवारी या चौबेपुर थाने का कोई भी पुलिस कर्मचारी विकास के लिए मुखबिरी करने का दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ पुलिस बल की हत्या की साजिश का भी मुकदमा कायम होगा.
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