सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने मंगलवार 26 मार्च को इतिहास रचा है. उन्होंने मंगलवार को अमेरिका के कोलंबिया लॉ स्कूल में स्थापित डॉ. भीम राव अम्बेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया. बता दें कि जस्टिस गवई भी अनुसूचित जाति समुदाय से हैं और वो देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं. दरअसल, जस्टिस गवई 14 मई 2025 से 24 नवंबर 2025 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे. वो इस समुदाय से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होंगे.
कोलंबिया लॉ स्कूल में बोलते हुए जस्टिस गवई ने कहा, " कोलंबिया लॉ स्कूल में आमंत्रित किया जाना मेरे लिए सम्मान की बात है. मुझे कोलंबिया विश्वविद्यालय देखने में विशेष रुचि थी क्योंकि इस विश्वविद्यालय का भारतीयों के दिल में एक विशेष स्थान है. डॉ. बीआर अंबेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान का मुख्य वास्तुकार माना जाता है ने कोलंबिया से MA और PHD की पढ़ाई की. उनके सम्मान में, कोलम्बिया विश्वविद्यालय में एक पुस्तकालय में एक प्रतिमा स्थापित की गई. जैसा कि मैंने 28 जनवरी 2024 को भारत के सुप्रीम कोर्ट की हीरक जयंती की शुरुआत पर कहा था कि , यह केवल डॉ. अम्बेडकर और भारत के संविधान के कारण है कि मैं इस पद तक पहुंच पाया हूं. मुझे बताया गया है कि कोलंबिया लॉ स्कूल में एक बीआर अंबेडकर चेयर भी है."
दरअसल, डॉ. भीम राव अंबेडकर ने क्रमशः 1915 और 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से MA और PHD की डिग्री प्राप्त की थी. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए थे. कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में लेहमैन सोशल साइंसेज लाइब्रेरी की तीसरी मंजिल पर डॉ. अंबेडकर की एक कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है. दरअसल जस्टिस गवई अमेरिका के दौरे पर हैं. मंगलवार को कोलंबिया लॉ स्कूल में उनके लेक्चर का विषय था "परिवर्तनकारी संविधानवाद के 75 वर्ष" था.
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