"न्यायपालिका CJI चंद्रचूड़ के सुरक्षित हाथों में...": NDTV से बोले SC के रिटायर जज अजय रस्तोगी

जस्टिस रस्तोगी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट पहले भी मजबूत था, लेकिन आज जनता में हमारी आस्था और बढ़ गई है. क्योंकि अब जनता देखती है कि न्याय कैसे होता है. हम उनके नजदीक आ गए हैं."

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अजय रस्तोगी.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी 17 जून 2023 को रिटायर हुए हैं. जस्टिस रस्तोगी को 2 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर प्रमोट किया गया था. इससे पहले वह त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. बाद में वह 14 अप्रैल 2016 से 13 मई 2016 तक राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस रहे. जस्टिस रस्तोगी उस पीठ में थे, जिसने बिलकिस बानो द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका खारिज की थी. NDTV ने रिटायर जस्टिस अजय रस्तोगी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने निष्पक्ष जज और बिलकिस बानो केस समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

जस्टिस रस्तोगी ने कहा, "एक जज के तौर पर समाज के लिए जो कर सकता था, मैंने वो किया. मैं अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट हूं. 20 साल के जज के करियर में कभी सरकार या कहीं से भी दबाव नहीं मिला." उन्होंने कहा, "केवल सरकार के खिलाफ बोलना निष्पक्षता नहीं है. मुझे एक जानकार मिला. उन्होंने कहा कि फलाने जज निष्पक्ष हैं, क्योंकि सरकार के खिलाफ फैसला देते हैं. मैंने पूछा कि ऐसा क्यों? उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ बोलने में हिम्मत चाहिए. लेकिन मैं ये समझता हूं कि निष्पक्ष जज वो हैं, जो केस के तथ्यों पर फैसला करें. मैंने सारे केस में अपने विवेक से फैसले दिए."

कॉलेजियम सिस्टम सही
उन्होंने कहा, "जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम सही है. जजों के चयन के लिए बारीकी से देखने की व्यवस्था है. आम लोगों के पास सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहा है. लाइव स्ट्रीमिंग और वर्चुअल कोर्ट से दूरियां कम हुई हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ इसके लिए बधाई के पात्र हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ से मैंने बहुत कुछ सीखा है. न्यायपालिका की कमान सीजेआई चंद्रचूड़ के सुरक्षित हाथों में है. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की आयु सीमा बराबर होनी चाहिए."

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बिलकीस बानों के दोषियों को अदालत ने नहीं छोड़ा
गुजरात दंगों में बिलकीस बानो के 11 दोषियों की रिहाई के मुद्दे पर बोलते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा, "ये एक ऐसा केस था, जिसमें घटना गुजरात में हुई. अजीबो-गरीब परिस्थितियों के चलते ट्रायल मुंबई में हुआ. यहां दोषियों की अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट कहता था कि गुजरात जाइए और गुजरात हाईकोर्ट कह रहा था कि बॉम्बे जाइए. हमने ये कानून का सवाल तय किया कि ये केस गुजरात का है. मुझे समझ नहीं आता कि ये बात कहां से आई कि हमने उन्हें (दोषियों को) छोड़ दिया. मीडिया ने भी ये कहा है.

फैसलों की आलोचना हो, निजी हमले नहीं
जस्टिस रस्तोगी ने जजों पर निजी हमलों पर भी आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा, "ये बात मंजूर नहीं है कि जजों की निजी तौर पर आलोचना हो. आप किसी फैसले पर आलोचना करते हैं, तो वो सही है. निजी तौर पर हमले होंगे, तो फैसले लिखने वालों पर दबाव होगा."

कॉलेजियम स्वतंत्र लोकतांत्रिक सिस्टम
जस्टिस रस्तोगी ने कॉलेजियम सिस्टम पर भी बात की. उन्होंने कहा, "कॉलेजियम में शामिल जजों को बहुत अनुभव होता है. इसमें सरकार आईबी सब शामिल होते हैं. सरकार की आपत्ति है, तो वो कॉलेजियम को बता सकती है. इससे ज्यादा क्या फिल्टर किया जा सकता है. अब ये सिस्टम पारदर्शी है. कॉलेजियम रिपोर्ट में सब चर्चा और विचार दिया जाता है, जिसे सार्वजनिक किया जाता है."

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लोगों तक पहुंच रहा है सुप्रीम कोर्ट
उन्होंने कहा- "सुप्रीम कोर्ट अब लोगों तक पहुंच रहा है. कोविड ने हमें बहुत कुछ सिखाया है. आज ये स्थिति है कि कोई तालुका स्तर पर वकील भी वर्चुअल तरीके से सुप्रीम कोर्ट में पेश हो सकता है. इसके लिए वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बधाई के पात्र हैं. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वर्चुअल सिस्टम सही तरीके से काम करता रहे."

न्यायपालिका CJI चंद्रचूड़ के सुरक्षित हाथों में
जस्टिस रस्तोगी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट पहले भी मजबूत था, लेकिन आज जनता में हमारी आस्था और बढ़ गई है. क्योंकि अब जनता देखती है कि न्याय कैसे होता है वो सब देखते हैं हम उनके नजदीक आ गए हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने ही सिखाया कि जमीनी हालात पर ही फैसले देने चाहिए. वो कहते हैं कि हम लोगों के लिए काम करते हैं. अगर आम आदमी आता है तो उसे पूरा न्याय मिले. मैं उसके लिए उनका शुक्रिया करता हूं. न्यायपालिका सीजेआई चंद्रचूड़ के सुरक्षित हाथों में है."

जजों की रिटायरमेंट उम्र
जस्टिस रस्तोगी ने कहा, "सरकार को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की आयु सीमा एक समान कर देनी चाहिए. इससे हाईकोर्ट जजों को सुप्रीम कोर्ट आकर ज्यादा समय मिलेगा, क्योंकि हाईकोर्ट के मुकाबले सुप्रीम कोर्ट का काम अलग है. जज को दो-तीन साल पूरी तरह समझने में लग जाते हैं. ऐसे में फैसले देने के लिए उनके पास और समय होगा."

रिटायर होने के बाद पद लेने में क्या गलत
जस्टिस रस्तोगी ने कहा, "मानवाधिकार आयोग समेत अन्य ट्रिब्यूनल में प्रावधान किए गए हैं कि सीजेआई या सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज ही नियुक्त होंगे, तो ऐसे में क्या किया जा सकता है. अगर सरकार चाहे तो कूलिंग पीरियड ला सकती है."

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