बिहार की राजनीति में इन दिनों फिर से खींचतान का दौर देखने को मिल रहा है. हाल ही में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष ने नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस मसले पर अब बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सिद्धांत और जनता के काम को सर्वोपरि समझा, इसलिए उनके बेटे ने इस्तीफा दिया. उन्होंने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा जिन मुद्दों को लागू करने के लिए पार्टी बनाई, वो मुद्दे आज भी बदस्तूर जारी है.
बिहार के पूर्व सीएम ने कहा कि नीतीश कुमार गरीबों की विकास की बात नहीं सुनते, उनकी बात नहीं मानी गई. दरअसल जिन मुद्दों को लेकर उनसे मिलने गए तो उन्होंने साफ कहा कि छोटी-छोटी दुकान बंद करें और जदयू में चले आए, अगर नहीं आईयेगा तो बाहर चले जाए. उन्होंने बताया कि 45 मिनट की बातचीत में 30 मिनट में कई बार पार्टी से बाहर जाने और आने का उपदेश देते रहें.
इसी के साथ उन्होंने कहा 44 वर्षों वर्षों से जनता के लिए काम किया. सिद्धांत और जनता का काम सर्वोपरि है इसलिए पार्टी को मर्ज नहीं करेंगे. उन्होंने बताया 19.6 2023 को पार्टी के कार्यकारिणी की बैठक आयोजित है. इस कार्यकारिणी का जो निर्णय होगी,उसके आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी. साथ ही उन्होंने इशारा किया कि सिद्धांतों को लागू कराने के लिए किसी भी पार्टी का सहारा लेना होगा तो लिया जाएगा क्योंकि हमारी पार्टी छोटी है किसी का सहारा लेना होगा.
बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने साथ ही कहा कि हम शराब नीति में नीतिश कुमार के साथ थे, लेकिन आज शराब नीति गरीबों के लिए है, इसमें तो गरीब ही जेल में जाता है. अफसरों के शराब पीने की जांच तक भी नहीं होती. 70 प्रतिशत ऐसे लोग जेल में हैं और वो गरीब-मजदूर हैं. हमारी सरकार बेरहम हो गई. यहां तक कि बालू माफियों को नहीं रोकते और उन पर ध्यान भी नहीं देते .
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