झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जा सकता है. ऐसी खबरें कल से सूत्रों के हवाले से सामने आ रही हैं. जिसके कारण राज्य में राजनीति गर्म हो गई है. भाजपा ने मध्यावधि चुनाव का आह्वान किया है. वहीं सोरेन पार्टी के सदस्यों और सहयोगी दल भविष्य की रणनीति तैयार कर रहे हैं. सोरेन ने आज यूपीए की बैठक बुलाई है.
अंतिम निर्णय अभी भी राज्यपाल रमेश बैस के पास एक सीलबंद लिफाफे में है. सूत्रों का कहना है कि आज इस पर फैसला ले सकते हैं. राजभवन के सूत्रों के हवाले से एजेंसी पीटीआई ने छापा है कि चुनाव आयोग ने राज्यपाल से कहा है कि सोरेन को चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए एक विधायक के रूप में "अयोग्य" होना चाहिए. वहीं राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन का कहना है कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है और सोरेन मुख्यमंत्री बनें रहेंगे.
राज्यपाल बैस ने संवाददाताओं से कहा था कि जायजा लेने के बाद वह इस मुद्दे पर टिप्पणी करने की स्थिति में होंगे. उन्होंने गुरुवार को कहा था, "मैं दो दिनों के लिए दिल्ली के एम्स में था. राजभवन पहुंचने पर मैं इस तरह के किसी भी फैसले के बारे में बताने की स्थिति में रहूंगा." यूपीए गठबंधन के हिस्से के रूप में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का कहना है कि उसे विश्वास है कि सोरेन 2024 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे.
वहीं इस मामले पर कल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि, उन्हें इस बात की सूचना नहीं है कि चुनाव आयोग ने राज्य के गवर्नर से उनकी अयोग्यता की सिफारिश की है. सोरेन ने एक बयान में कहा था "ऐसा लगता है कि भाजपा के एक सांसद और उनके कठपुतली पत्रकारों सहित भाजपा नेताओं ने खुद ईसीआई रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है, जो अन्यथा एक सीलबंद कवर रिपोर्ट है."
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