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साइकिल की सवारी; स्ट्रीट लाइट बुझाने का काम, झारखंड चुनाव में 'ऊर्जा मैन' की क्यों हो रही चर्चा

Jharkhand Assembly Elections 2024: रांची के रंजीत साहू की साइकिल बहुत रोचक है. पीछे एम्बुलेंस को साइड देने की बात है और आगे सफाई का संदेश लिखा है. रंजीत को ऊर्जा मैन भी कहा जाता है.

रांची के 'ऊर्जी मैन' रंजीत साहू बिजली, पानी बचाने का संदेश देते हैं और सड़कों, नालों की सफाई करते हैं.

रांची:

Jharkhand Assembly Elections: बैटरी से चलने वाली साइकिल पर रांची के रंजीत साहू सुबह-सुबह आपको शहर की सड़कों पर दिख जाएंगे. शहर में इन्हें 'ऊर्जा मैन' के नाम से भी जाना जाता है. वे हर रोज सुबह अलग-अलग मोहल्लों में घूम-घूमकर जलती स्ट्रीट लाइटें बुझाते हैं और सफाई करते हैं. उन्होंने NDTV को बताया कि विधानसभा चुनाव में उनके लिए क्या मुद्दे खास हैं. 

चुनाव के दौरान हमको कई रंग देखने को मिलते हैं. रंजीत साहू रांची की एक सड़क पर मिल गए. रंजीत साहू की साइकिल बहुत रोचक है. पीछे एम्बुलेंस को साइड देने की बात है और आगे सफाई का संदेश लिखा है. रंजीत को ऊर्जा मैन भी कहा जाता है.  

ऊर्जा मैन कहे जाने पर रंजीत साहू ने NDTV से कहा कि, ''बिजली, पानी, पर्यावरण और स्वच्छता... स्वच्छता पर मेरा एकला चलो अभियान चालू है. मैं सुबह चार बजे उठता हूं, चिड़ियों को दाना-पानी देता हूं.. उसके बाद रोड, नाले की सफाई में लग जाता हूं. मोहल्ले की रोड, नाली साफ करके बिजली बचाओ अभियान पर निकल जाता हूं. करीब 30-35 किलोमीटर एरिया में घूम-घूमकर दर्जनों मोहल्लों में जितनी भी स्ट्रीट लाइटें दिन में बेवजह जलती रहती हैं, उनको ऑफ करता हूं.'' 

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साइकिल में पीछे क्यों लिखा है कि एम्बुलेंस को रास्ता दें? इस सवाल पर रंजीत साहू ने कहा कि, ''एम्बुलेंस इमरजेंसी होती है, लेकिन यहां लोग इमरजेंसी को भी नजरअंदाज कर देते हैं. जागरूकता लाने के लिए मैंने लिखा.''

रंजीत साहू ने अपने घर के दो माले किराये से दे रखे हैं और गाड़ी भी किराये पर दे रखी है. वे उसी से होने वाली आय से घर खर्चा चलाते हैं और समाजसेवा भी करते हैं. उनसे उनके अपने चुनाव के मुद्दे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ''विकास..सफाई हो, बिजली हो, पानी हो, नौजवानों के लिए दूरगामी योजना हो...इसको देखते हुए वोट देते हैं.'' उन्होंने कहा कि उनके मोहल्ले में अपेक्षाकृत अधिक सफाई है लेकिन अभी और आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि, ''झाड़ू लगाने वाले आठ-पंद्रह दिन में आते हैं, रोज सफाई नहीं करते हैं. व्यवस्था और व्यवस्थापक, दोनों की कमी है. उन्होंने कहा कि, लोग घर से कचरा निकालकर रोड पर या नाली में डाल देते हैं.''

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