जयंत सिन्हा ने दिया पिता यशवंत सिन्हा के सवालों का जवाब
नई दिल्ली:
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर पिता यशवंत सिन्हा के लेख का जवाब उनके बेटे और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा की तरफ से आ गया है. पिता की तर्ज पर ही उन्होंने भी एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखा है, जिसमें अपने पिता की राय से असहमति जाहिर करते हुए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का जमकर बचाव किया है. अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि वर्तमान अर्थनीति नए भारत के निर्माण की दिशा में उठाया गया कदम है. पारदर्शी, प्रतियोगी और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव हो रहे हैं. एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यस्था का आकलन ठीक नहीं. जीएसटी और नोटबंदी गेमचेंजर हैं.करीब 5000 गांव ही ऐसे बचे हैं, जहां बिजली पहुंचाना बाकी है, जो 2018 तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि हाल ही में जो लेख लिखे गए हैं, उसमें तथ्यों की कमी रही है.
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इससे पहले एनडीटीवी से यशवंत सिन्हा ने कहा कि 2019 के चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना संभव नहीं है. यूपीए-2 की पॉलिसी पैरालाइसिस दूर करने की गंभीर कोशिश नहीं हो रही है.नितिन गडकरी के अलावा दूसरे किसी मंत्री ने ठोस काम नहीं किया. नोटबंदी और GST ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. सरकार ने GST को लेकर जल्दबाज़ी दिखाई. GST को एक अक्टूबर को लागू किया जाना चाहिए था. अर्थव्यवस्था में डिमांड की कमी आने से नए रोज़गार पैदा नहीं हो रहा है. उम्मीद के मुताबिक अर्थव्यवस्था में नए निजी निवेश नहीं हो रहे हैं.
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गौरतलब है कि एक अंग्रेजी अखबार के जरिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर जमकर निशाना साधा था. सिन्हा ने कहा कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी को और कमजोर करने में अहम भूमिका अदा की. तंज कसते हुए सिन्हा ने कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है, अब जिस तरीके से उनके वित्त मंत्री काम कर रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि वे सभी भारतीयों को गरीबी पास से दिखाएंगे. आज के समय में न ही नौकरी मिल रही है और न ही विकास तेज़ हो रहा है, जिसका सीधा असर इन्वेस्टमेंट और जीडीपी पर पड़ा है.
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यशवंत सिन्हा के मुताबिक- सरकार ने जीएसटी को जिस तरह लागू किया उसका भी नकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. जीडीपी अभी 5.7 फीसदी है, जबकि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने का तरीका बदला था. अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखा जाए तो आज जीडीपी 3.7 फीसदी है.
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इससे पहले एनडीटीवी से यशवंत सिन्हा ने कहा कि 2019 के चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना संभव नहीं है. यूपीए-2 की पॉलिसी पैरालाइसिस दूर करने की गंभीर कोशिश नहीं हो रही है.नितिन गडकरी के अलावा दूसरे किसी मंत्री ने ठोस काम नहीं किया. नोटबंदी और GST ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. सरकार ने GST को लेकर जल्दबाज़ी दिखाई. GST को एक अक्टूबर को लागू किया जाना चाहिए था. अर्थव्यवस्था में डिमांड की कमी आने से नए रोज़गार पैदा नहीं हो रहा है. उम्मीद के मुताबिक अर्थव्यवस्था में नए निजी निवेश नहीं हो रहे हैं.
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गौरतलब है कि एक अंग्रेजी अखबार के जरिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर जमकर निशाना साधा था. सिन्हा ने कहा कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी को और कमजोर करने में अहम भूमिका अदा की. तंज कसते हुए सिन्हा ने कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है, अब जिस तरीके से उनके वित्त मंत्री काम कर रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि वे सभी भारतीयों को गरीबी पास से दिखाएंगे. आज के समय में न ही नौकरी मिल रही है और न ही विकास तेज़ हो रहा है, जिसका सीधा असर इन्वेस्टमेंट और जीडीपी पर पड़ा है.
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यशवंत सिन्हा के मुताबिक- सरकार ने जीएसटी को जिस तरह लागू किया उसका भी नकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. जीडीपी अभी 5.7 फीसदी है, जबकि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने का तरीका बदला था. अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखा जाए तो आज जीडीपी 3.7 फीसदी है.
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