
- जम्मू-श्रीनगर हाईवे को हल्के वाहनों के लिए एकतरफा खोल दिया गया है लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही अभी भी बंद है.
- राजमार्ग बंद रहने से कश्मीर घाटी में जरूरी वस्तुओं की किल्लत बढ़ गई है और सेब किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
- घाटी की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बाहरी आपूर्ति पर निर्भर है, जिससे राजमार्ग बंद होने से व्यापार चौपट हो गया है.
पिछले दो हफ्तों की लगातार कोशिशों के बाद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को एकतरफा हल्के वाहनों के लिए खोल दिया गया है. इससे लोगों को कुछ राहत मिली है, लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही अब भी बंद है. जिसकी वजह से कश्मीर घाटी में जरूरी वस्तुओं की भारी किल्लत महसूस की जा रही है. सबसे ज्यादा मार सेब किसानों ((Apple Farmers) और व्यापारियों पर पड़ी है, जिनकी तैयार फसलें रास्ते में ही सड़ने लगी हैं.
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बाजारों में माल की किल्लत, व्यापारी परेशान
कहा जाता है कि एक छोटी सुई से लेकर हेलीकॉप्टर तक घाटी में हर सामान की आपूर्ति इसी राजमार्ग से होती है. ऐसे में राजमार्ग दो सप्ताह तक ठप रहने से न सिर्फ किसानों, बल्कि व्यापारियों के भी बुरे दिन आ गए हैं. बाजारों में माल की कमी बढ़ गई है और संकट काफी बड़े स्तर तक पहुंच गया है.
हाईवे बंद होने से कारोबार चौपट
कश्मीर ट्रेडर्स एंड मैन्युफैक्चरर्स फेडरेशन के अध्यक्ष यासीन खान ने बताया कि राजमार्ग बंद होने से कारोबार चौपट हो गया है. दुकानों पर सामान कम होता जा रहा है और कुछ दुकानदारों को ताले लगाने पड़े हैं. उन्होंने कहा कि घाटी की पूरी अर्थव्यवस्था बाहरी आपूर्ति पर टिकी है, चाहे चावल या तेल हो, पेट्रोलियम उत्पाद हों या इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण.
जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे
चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री कश्मीर (CCIK) अध्यक्ष तारिक गनी के मुताबिक घाटा करोड़ों में पहुंच गया है. उनका कहना है कि रेल सेवाएं शुरू होने के बावजूद जरूरी सामान ट्रेन से घाटी में क्यों नहीं भेजा जा रहा, यह बड़ा सवाल है. जरूरी चीजों के दाम पहले से ही आसमान छू रहे हैं.
दुकानदारों के पास स्टॉक खत्म
लाल चौक ट्रेडर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने बताया कि कई दुकानदारों के पास स्टॉक खत्म हो चुका है और जिनके पास बचा-खुचा माल है, वे मनमाने ढंग से दाम वसूल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में बढ़े जीएसटी ने घाटे को और बढ़ा दिया है जिससे व्यापारी गहरे दबाव में हैं.
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