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This Article is From Jul 11, 2023

अनुच्छेद 370 : याचिकाओं की रोजाना सुनवाई के SC के फैसले का जम्‍मू कश्‍मीर के राजनीतिक दलों ने किया स्वागत

उमर अब्‍दुल्‍ला ने कहा कि इस मामले को उच्चतम न्यायालय में सूचीबद्ध होने में चार साल लगे. इससे प्रदर्शित होता है कि हमारा मामला कितना मजबूत है. इतना लंबा समय लगा, क्योंकि पांच अगस्त 2019 को संविधान को नष्ट कर दिया गया था.

अनुच्छेद 370 : याचिकाओं की रोजाना सुनवाई के SC के फैसले का जम्‍मू कश्‍मीर के राजनीतिक दलों ने किया स्वागत
SC अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अगस्त से सुनवाई करेगा. (फाइल)
श्रीनगर :

जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दलों ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर प्रतिदिन सुनवाई करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया. न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अगस्त से प्रतिदिन सुनवाई करेगा. नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि अनुच्छेद 370 बहाल करने के पक्ष में एक मजबूत मामला है. 

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी दादी एवं नेकां संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की पत्नी बेगम अकबर जहां को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "मामले को उच्चतम न्यायालय में सूचीबद्ध होने में चार साल लगा. इससे यह प्रदर्शित होता है कि हमारा मामला कितना मजबूत है. इतना लंबा समय लगा, क्योंकि पांच अगस्त 2019 को संविधान को नष्ट कर दिया गया था."

उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने को पर्यटन तथा जी20 कार्यक्रमों से जोड़कर देखा जा सकता है, लेकिन जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त किया जाना गलत है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार का पक्ष कमजोर है.

उन्होंने कहा, "सरकार ने इसे सूचीबद्ध कराने तक की कोशिश नहीं की. यदि सरकार इच्छुक थी तो उसने उच्चतम न्यायालय से इसकी शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया होता."

उन्होंने कहा, "शुक्र है कि प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश यहां आए और लौटने पर, इसे सूचीबद्ध किया."

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने पर केंद्र के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का शीर्ष न्यायालय का फैसला उनके इस रुख का समर्थन करता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के कदम का ठोस तार्किक आधार नहीं था.

महबूबा ने कहा कि इस बारे में वास्तविक आशंकाएं जताई गई हैं कि चार साल तक चुप रहने के बाद उच्चतम न्यायालय ने इतनी तत्परता से याचिकाओं को क्यों सूचीबद्ध किया.

उन्होंने कहा, "भारत सरकार के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला यह पुष्टि करता है कि अनुच्छेद 370 को अवैध रूप से निरस्त करने को उचित ठहराने के लिए उसके पास तार्किक व्याख्या नहीं है."

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, "...उम्मीद है कि इस विषय के बारे में बहुत कम जानने वाले लोगों के सामूहिक अंत:करण को संतुष्ट करने के लिए इस देश के संविधान का बलिदान नहीं दिया जाएगा."

नेकां के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, "यह एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है कि प्रधान न्‍यायाधीश दो अगस्त से प्रतिदिन याचिकाओं की सुनवाई करेंगे. इससे जम्मू कश्मीर के लोगों में उम्मीद जगी हैं."

उन्होंने कहा, "जम्मू कश्मीर के लोग पिछले चार साल साल से इस दिन का इंतजार कर रहे थे."

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एम वाई तारिगामी ने भी शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत किया.

उन्होंने कहा, "यह एक सकारात्मक हस्तक्षेप है. हम इसका स्वागत करते हैं. हमें उम्मीद है कि न्याय होगा."

केंद्र ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख-- के रूप में विभाजित कर दिया था. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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