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जम्मू-कश्मीर में दो दौर की वोटिंग का ट्रेंड किसके लिए गुड न्यूज? समझिए मतदान के सियासी मायने

जम्मू-कश्मीर में पिछले चुनावों की बात करें, तो 2008 में फेज-2 में 55% वोटिंग हुई थी. 2014 में 62% मतदान रिकॉर्ड हुआ. वहीं, 2024 में अभी तक के आंकड़े के मुताबिक 56.05% वोटिंग हुई.

दूसरे फेज में 25.78 लाख मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोट डाला.

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Assembly Elections 2024) के दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 सीटों पर वोटिंग खत्म हो गई है. इसमें 25.78 लाख मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोट डाला. दूसरे फेज में बंपर वोटिंग हुई है. अभी तक के अपडेट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 56.05% मतदान हुआ. ये टेंटेटिव आंकड़े हैं, फाइनल डेटा चुनाव आयोग (Election Commission) बाद में जारी करेगा. 18 सितंबर को पहले फेज में 61.4% वोटिंग हुई थी. दो फेज को मिला कर राज्य की 90 में से 50 सीटों पर मतदान पूरा हो चुका है. बाकी बची 40 सीटों पर 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. 

आइए समझते हैं कि जम्मू-कश्मीर में दो फेज में बंपर वोटिंग के क्या है सियासी मायने? इससे BJP, कांग्रेस-NC गठबंधन में किसे होगा फायदा? क्या ज्यादा वोटिंग में छिपा है महबूबा मुफ्ती के लिए कोई गुड न्यूज:-

फेज-2 में किस सीट पर कितनी वोटिंग?
- गांदरबल: 59%
-श्रीनगर:  27%
-बडगाम:  59%
-रियासी:  72%
-राजौरी:  68%
-पुंछ:  72%

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पहले फेज में कौन सी सीटों पर हुई सबसे ज्यादा वोटिंग?
18 सितंबर को पहले फेज में जम्मू-कश्मीर की 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई. इस दौरान 61.38% मतदान हुआ. किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 80.20% और पुलवामा में सबसे कम 46.99% वोटिंग हुई थी.

पिछले चुनावों में कितना रहा था वोट पर्सेंटेज?
जम्मू-कश्मीर में पिछले चुनावों की बात करें, तो 2008 में फेज-2 में 55% वोटिंग हुई थी. 2014 में 62% मतदान रिकॉर्ड हुआ. वहीं, 2024 में अभी तक के आंकड़े के मुताबिक 56.05% वोटिंग हुई.

दूसरे फेज में इन दिग्गजों की किस्मत का होना है फैसला
-नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बडगाम सीट से मैदान में हैं. वो गांदरबल सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं.
-चन्नापोरा सीट से जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के सैयद मोहम्मद अल्ताफ़ बुख़ारी मैदान में हैं.
-चरार-ए-शरीफ सीट से PDP नेता गुलाम नबी लोन चुनाव लड़ रहे हैं.
-नौशेरा से जम्मू-कश्मीर BJP के चीफ रवीन्द्र रैना मैदान में हैं.
-हब्बाकदल से BJP के अशोक कुमार भट्ट चुनाव लड़ रहे हैं.
-सुरनकोट सुरक्षित सीट से पूर्व मंत्री मुश्ताक अहमद शाह बुखारी BJP के टिकट पर मैदान में हैं.
-थानामंडी सुरक्षित सीट से कांग्रेस के मोहम्मद शब्बीर ख़ान चुनाव लड़ रहे हैं, जो राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं.
-मध्य शाल्टेंग सीट से जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा मैदान में हैं.

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बढ़ा मतदान प्रतिशत क्या दे रहा संकेत?
हर चुनाव में मतदान का आंकड़ा बढ़ रहा है, इसके क्या मायने हैं? इसके जवाब में जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी CM डॉ. निर्मल सिंह बताते हैं, "पहले फेज की वोटिंग के समय मैं कश्मीर में था. मैंने कई सीटों का दौरा किया. कश्मीर के लोगों में वोट डालने के लिए गजब का उत्साह था. वहां की महिलाएं, युवा और बुजुर्ग वोटिंग में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे थे. सभी राजनीतिक पार्टियां भी जोर-शोर से प्रचार कर रही थी. इसका सीधा सा मतलब है कि लोगों में वोटिंग के दौरान किसी तरह का खौफ नहीं था. जम्हूरियत और सियासत को लेकर लोग खुलकर बात कर रहे थे."

डॉ. निर्मल सिंह बताते हैं, "ऐसा इसलिए हो सका, क्योंकि कश्मीर में आज अमन-चैन का माहौल है. उग्रवादियों का कोई डर नहीं है. लोग खुलकर अपने राजनीतिक विचार साझा कर रहे हैं. ये मोदी सरकार के 10 साल के कामों का नतीजा है. यहां के लोगों ने बंदूक उठाई, पत्थर भी उठाए... लेकिन यहां पार्टियों, लोगों और समूहों को ये बात समझ में आ चुकी है कि लोकतंत्र ही अमन-चैन का एक जरिया है. निश्चित तौर पर ये लोकतंत्र की विजय है. संविधान की विजय है."

निर्मल सिंह ने कहा, "5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में जो शांति आई है, तब से हालात बदले हैं. सोच बदली है. दिशा बदली है. आगे और भी बहुत कुछ बदलेगा."

पूर्ण राज्य की मांग पर क्या सोचती है BJP?
निर्मल सिंह ने कहा, "बेशक जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा. पीएम मोदी ने खुद कश्मीर में ये बात दोहराई है. गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे पर बयान दिया है. इसे लेकर BJP का भी स्टैंड क्लियर है. सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा. ये आम लोगों का नहीं, बल्कि कुछ पार्टियों का बहुत बड़ा मुद्दा है."

कश्मीर घाटी में BJP ने क्यों उतार कम उम्मीदवार?
इसके जवाब में निर्मल सिंह कहते हैं, "हमने कश्मीर घाटी में एक तय रणनीति के तहत कम सीटों पर चुनाव लड़ा है. हमने वही सीटें टारगेट की हैं, जहां हमारा अच्छा वोट बैंक है. जहां हम जीत सकते हैं. हमने किसी छोटी पार्टी को कोई समर्थन नहीं दिया. न ही किसी पार्टी का समर्थन लिया है. हमें पूरा यकीन है कि हम बहुमत का आंकड़ा पार कर जाएंगे."

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बंपर वोटिंग पर्सेंटेज के क्या हैं सियासी मायने?
दूसरे फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू की हैं. सेंट्रल कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ माना जाता है. ऐसे में क्या माना जाए कि बंपर वोटिंग नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए गुड न्यूज है और BJP के लिए बैड न्यूज है? इस सवाल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रवक्ता इफरा जान कहती हैं, "नेशनल कॉन्फ्रेंस का मुकाबला कभी किसी बड़ी या छोटी पार्टी के साथ नहीं रहा. नेशनल कॉन्फ्रेंस का सीधा मुकाबला हमेशा दिल्ली से और दिल्ली की पार्टी से रहा है. या हमारा मुकाबला प्रॉक्सी पार्टी से रहा है. ये बात आज से नहीं, बल्कि 1953 से शुरू होती है. जब शेख अब्दुल्ला साहब को गिरफ्तार किया गया था. फिर 1984 में हमारी सरकार गिराई गई थी. 2018 के बाद तो ओपन अनाउंसमेंट हुए. वास्तव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 90 साल से दिल्ली की पार्टी से लड़ रही है."

इफरा जान कहती हैं, "BJP के प्रवक्ता रविंद्र रैना ने हाल ही में कहा कि BJP जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाएगी. उन्होंने अपने विधायकों की संख्या भी बताई. साथ ही बताया कि उनकी पार्टी को कितने निर्दलीय उम्मीदवार ज्वॉइन करेंगे. यानी जहां BJP के प्रवक्ता खुद नेशनल टेलीविजन पर आकर प्रॉक्सी पॉलिटिकल पार्टी को लेकर ऐसे बयान देते हैं, तो क्या हो सकता है ये BJP के साथ-साथ आवाम को भी पता है. निश्चित तौर पर जम्मू-कश्मीर की जनता इसके मायने समझती है."

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