राजनीति के लिए सिविल सेवा छोड़ने वाले कश्मीरी आईएएस टॉपर शाह फैसल को बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया.अधिकारियों ने बताया कि फै़सल इस्तांबुल जाने वाले थे. उन्हें वापस श्रीनगर भेजा दिया गया है, जहां उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत घर में नजरबंद रखा गया है. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के सरकार के कदम के बारे में शाह फैसल की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हुई थी. मंगलवार को उन्होंने ट्विटर पर चेतावनी दी थी कि कश्मीर को "राजनीतिक अधिकारों की बहाली के लिए एक अहिंसक राजनीतिक जन आंदोलन की जरूरत है."
उन्होंने ट्वीट किया, "कश्मीर को राजनीतिक अधिकारों की बहाली के लिए एक लंबे, निरंतर, अहिंसक राजनीतिक जन आंदोलन की आवश्यकता होगी. धारा 370 को समाप्त करने से मुख्यधारा खत्म हो गई है. संविधानवादी चले गए हैं. इसलिए आप या तो एक कट्टरपंथी हो सकते हैं या अलगाववादी."
शाह फैसल ने कहा, घाटी में 80 लाख आबादी कैद, हर चेहरे पर हार की भावना...
शाह फैसल जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष हैं. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद फैसल ने कहा था कि कश्मीर में अप्रत्याशित बंद चल रहा है और उसकी 80 लाख की आबादी कैद कर ली गई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.
एक अन्य विवादास्पद ट्वीट में फ़ैसल ने कहा था, "कोई ईद नहीं है. दुनिया भर के कश्मीरी अपनी ज़मीन को अवैध रूप से जोड़ लेने का शोक मना रहे हैं. यहां तब तक कोई ईद नहीं होगी जब तक 1947 से जो कुछ भी चोरी और छीना गया है वापस नहीं लौटाया जाता. कोई ईद नहीं जब तक हर एक अपमान का बदला नहीं ले लिया जाता.
बता दें सरकार के कश्मीर पर फैसले के बाद सुरक्षा के लिहाज से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती 4 अगस्त से ही गिरफ्तारी पर हैं. कश्मीर घाटी में फोन और इंटरनेट सेवाएं अभी भी डाउन हैं और कर्फ्यू जैसी पाबंदियां हैं.
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