भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह को लेकर 10 साल की डील (Chabahar Port Deal) की है, जिसके अमेरिका बिल्कुल भी खुश नहीं है. अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों के संभावित जोखिम की चेतावनी दी है. चेतावनी के एक दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है. एस जयशंकर ने ये भी साफ कर दिया कि इस परियोजना से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा, इसके लिए छोटी सोच को लोगों को स्वीकार नहीं करना चाहिए.
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका ने पहले चाबहार पोर्ट के व्यापक महत्व को स्वीकार किया था. उन्होंने यह बात मंगलवार को कोलकाता में अपनी किताब 'व्हाई भारत मैटर्स' के बांग्ला संस्करण के विमोचन के बाद एक बातचीत के दौरान कही.
"चाबहार पोर्ट से सभी को फायदा"
एस जयशंकर ने कहा,"अमेरिका ने पहले ऐसा नहीं किया है, इसलिए, अगर आप चाबहार में बंदरगाह को लेकर अमेरिका के रवैये को देखें, तो पहले वह पोर्ट की व्यापक प्रासंगिकता की सराहना करता रहा है. उन्होंने कहा कि हम इस पर काम करेंगे."
#WATCH | Kolkata, West Bengal: On US's remarks on Chabahar port, EAM Jaishankar says, "...I did see some remarks which were made, but its a question of communicating, convincing and getting people understand that this is actually for everybodys benefit. I dont think people should… pic.twitter.com/M6wEkzcAae
— ANI (@ANI) May 14, 2024
चाबहार डील पर अमेरिका की भारत को चेतावनी
बता दें कि अमेरिका ने मंगलवार को चेतावनी दी थी कि तेहरान के साथ व्यापारिक डील पर विचार करने वाले "किसी को" भी प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए. अमेरिकी विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "मैं बस यही कहूंगा...ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और इनको जारी रखा जाएगा." जब उनसे यह पूछा गया कि इन प्रतिबंधों के दायरे में क्या भारतीय कंपनियां भी आ सकती हैं, इस पर वेदांत पटेल मे कहा कि जो कोई भी ईरान के साथ व्यापारिक सौदे पर विचार कर रहा है, उस पर संभावित जोखिम का खतरा बना रहेगा.
भारत-ईरान के बीच चाबहार पोर्ट डील
बता दें कि भारत और ईरान ने चाबहार के शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के टर्मिनल के संचालन के लिए एक समझौता किया है. 10 साल के लिए एक डील पर हस्ताक्षर किए गए हैं, यह जानकारी ईरान में भारतीय दूतावास की तरफ से एक्स पर एक पोस्ट के जरिए दी गई. इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गनाइजेशन ने समझौते पर हस्ताक्षर किए.
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान के साथ एक बैठक में कहा, 'इस डील पर हस्ताक्षर के साथ हमने चाबहार में भारत की दीर्घकालिक भागीदारी की नींव रखी है. इस डील से चाबहार बंदरगाह की व्यवहार्यता और दृश्यता पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा. चाबहार न सिर्फ भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह है बल्कि समुद्री परिवहन की दृष्टि से भी यह एक शानदार है.
भारत-ईरान के बीच पहले भी हुई डील
भारत और ईरान के बीच साल 2016 में भी शाहिद बेहेस्ती पोर्ट के संचालन के लिए डील हुई थी. अब हुई नई डील को 2016 की डील का ही ना रूप माना जा रहा है. बता दें कि इसके विकास के लिए दोनों देशों के बीच 2023 में सहमति बनी थी.भारत का कहना है कि इस डील ने पोर्ट में बड़े निवेश का रास्ता खुलेगा.
चाबहार डील आखिर है क्या?
पहले भारत से अफगानिस्तान को भेजा जाने वाला कोई भी सामान पाकिस्तान के रास्ते होकर जाता था. लेकिन इस डील से भारत को अब व्यापार के लिए पाकिस्तान की जरूरत नहीं होगी. अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से बिजनेस के लिए भारत को नया रूट मिल जाएगा. अब तक इन देशों तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान का सहारा लेना पड़ता था. यह बंदरगाह भारत के लए रणनीतिक और कूटनीति के लिहाज के भी अहम है.
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