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"चंद्रबाबू नायडू आदतन झूठे": लड्डू विवाद पर जगन रेड्डी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

Tirupati laddu controversy: तिरुपति लड्डू विवाद गरमाता जा रहा है. एक तरफ इससे भक्तों को गहरा आघात लगा है तो दूसरी तरफ राजनीतिक घमासान भी छिड़ गया है. जानिए वाईएस जगन ने क्या कहा...

"चंद्रबाबू नायडू आदतन झूठे": लड्डू विवाद पर जगन रेड्डी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
चंद्रबाबू और जगन के बीच तिरुपति के लड्डू पर महायुद्ध छिड़ा हुआ है.
हैदराबाद:

तिरुपति के लड्डू (Tirupati laddus) बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों पर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को पत्र लिखकर मौजूदा मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू (N Chandrababu Naidu) को "आदतन झूठा" कहा है. साथ ही आरोप लगाया है कि चंद्रबाबू ने "पूरी तरह से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए " उन पर इस तरह के आरोप लगाए हैं और करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाया है.वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख ने कहा है कि पूरा देश प्रधानमंत्री की ओर देख रहा है और यह जरूरी है कि नायडू को "झूठ फैलाने के उनके बेशर्म कृत्य के लिए कड़ी से कड़ी फटकार लगाई जाए."उन्होंने मांग की है कि करोड़ों हिंदू भक्तों के मन में संदेह को दूर करने के लिए "सच्चाई को सामने लाया जाए."

"ध्यान भटकाने के लिए आरोप"

नायडू की टीडीपी ने इस साल आंध्र चुनावों में जीत हासिल की और मुख्यमंत्री के रूप में रेड्डी को जाना पड़ा. टीडीपी केंद्र में भी भाजपा की प्रमुख सहयोगी है और इस आम चुनाव में भाजपा को झटका लगने के बाद लोकसभा में एनडीए के बहुमत के लिए इसका समर्थन महत्वपूर्ण है.रेड्डी ने नायडू पर "तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की पवित्रता, अखंडता और प्रतिष्ठा को अपूरणीय रूप से धूमिल करने" की कोशिश करने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी है कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. वाईएसआरसीपी प्रमुख ने दावा किया कि नई सरकार के बारे में लोगों की धारणा "काफी नकारात्मक" है और तिरुपति विवाद का उद्देश्य इसकी विफलताओं से ध्यान भटकाना है.

"मना कर दिया था"

बुधवार को एनडीए विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए, नायडू ने कहा कि जगन रेड्डी सरकार के तहत श्री वेंकटेश्वर मंदिर द्वारा 'प्रसाद' के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं को बनाने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था. रेड्डी ने कहा कि संभवतः मिलावटी घी वाला टैंकर 12 जुलाई को तिरुपति पहुंचा, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया और प्रसाद तैयार करने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया गया. "तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) में दशकों से चली आ रही मजबूत प्रथाओं से संदिग्ध गुणवत्ता की पहचान की जा सकती थी और इसलिए घी का उपयोग नहीं किया गया. इसके बावजूद, नायडू ने यह टिप्पणी करने का फैसला किया कि तिरुमाला लड्डू जानवरों की चर्बी से बनाए जाते हैं, घी से नहीं."

एनएबीएल करती है जांच

रेड्डी ने कहा, "सर, इन आरोपों से नायडू ने करोड़ों हिंदू भक्तों के मन में संदेह पैदा किया है और इस संदेह को दूर कर टीटीडी की पवित्रता में विश्वास बहाल करना चाहिए." पूर्व मुख्यमंत्री ने मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की नीतियों और प्रक्रियाओं की मजबूती के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि घी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मंदिर में जांच की जाती है. मंदिर तक पहुंचने वाले प्रत्येक टैंकर को राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों से घी की शुद्धता की जांच होती है.

पूरी प्रक्रिया बताई

उन्होंने बताया कि मंदिर में हर टैंकर से तीन नमूने लिए जाते हैं और उनका परीक्षण किया जाता है और तीन नमूने परीक्षण में पास होने के बाद ही घी को उपयोग में लाने की अनुमति दी जाती है. एक भी नमूना खराब होने या घटिया होने के पर घी के टैंकर को अस्वीकार कर दिया जाता है और उसे गुजरने की अनुमति नहीं दी जाती है. इसलिए, प्रसादम की तैयारी में घटिया सामग्री का इस्तेमाल होने का सवाल ही नहीं उठता है.उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कई दशकों से लागू है और ऐसे कई उदाहरण हैं जब टैंकरों को अस्वीकार कर दिया गया. वास्तव में, एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री को टीटीडी के कामकाज की पवित्रता के बारे में जनता को बताना चाहिए था. जिस तरह से नायडू ने कार्य किया, वह पूरी तरह से सामाजिक जिम्मेदारी से रहित है.
 

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