राजस्थान का सियासी संकट फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा है. राज्य के 90 से अधिक कांग्रेस विधायकों ने पार्टी पर्यवेक्षकों और केंद्रीय नेताओं (मलिकार्जुन खड़गे और अजय माकन) से आज सुबह आमने-सामने मिलने से इनकार कर दिया. पार्टी ने इसे "अनुशासनहीनता" माना है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा जयपुर भेजे गए दो कांग्रेसी नेताओं में से एक अजय माकन ने कहा, "यह अनुशासनहीनता है."
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार कहे जा रहे राजस्थान कांग्रेस के इन विधायकों ने उन रिपोर्टों पर इस्तीफा देने की धमकी दी है जिसमें कहा जा रहै कि गहलोत की जगह उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट की ताजपोशी की जा सकती है.
ये विधायक कल शाम कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए और एक मंत्री के घर पर अलग बैठक की, जिसके बाद उन्होंने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी.
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अजय माकन ने कहा, "मल्लिकार्जुन खड़गे और मैं पर्यवेक्षक के रूप में आए थे. हमने कल शाम मुख्यमंत्री के आवास पर उनकी सुविधानुसार बैठक करने का फैसला किया था लेकिन विधायकों ने समानांतर अलग बैठक की." उन्होंने कहा, "हम बारी-बारी से सबकी एक-एक कर बात सुनना चाहते थे लेकिन तीन विधायक हमारे पास आए और उन्होंने तीन शर्तें रख दीं.'
विधायकों ने केंद्रीय नेताओं से कहा कि नए मुख्यमंत्री को लेकर कोई भी बैठक 19 अक्टूबर के बाद ही होनी चाहिए, जब कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नतीजे घोषित हो जाएं.
इस पर माकन ने समझाया, "यह हितों का टकराव होगा क्योंकि अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिए जाते हैं तब अगर राज्स्थान के नए मुख्यमंत्री पर प्रस्ताव पारित किया जाएगा, तब अशोक गहलोत को अपने उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करने का अधिकार भी होगा."
विधायकों ने इस बात पर भी जोर दिया कि वे आमने-सामने की बैठकों के बजाय समूहों में आएंगे. कांग्रेस नेता ने कहा, "हमने कहा कि हमारी आमने-सामने मिलने की परंपरा है ताकि हम खुलकर और खुलकर बात कर सकें लेकिन उन्होंने कहा कि नहीं."
कुल 200 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के 108 विधायक हैं. पार्टी को 13 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है.
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