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जहां नहीं दे पाए एंट्रेंस, वहां से की PhD : जानिए कैसे पूरा हुआ 'गांव के लड़के' ISRO चीफ का सपना

सोमनाथ कहते हैं, "ये PhD मेरे पिछले 35 साल के काम का नतीजा है. आखिरी समय पर की गई कोशिशों, पेपर वर्क, सेमिनार... सब मिलाकर मेरी PhD डिग्री बनी. हालांकि, आप सिर्फ आखिरी फेज देख रहे हैं. लेकिन यात्रा बहुत लंबी है."

जहां नहीं दे पाए एंट्रेंस, वहां से की PhD : जानिए कैसे पूरा हुआ 'गांव के लड़के' ISRO चीफ का सपना
ISRO के चीफ डॉ. एस सोमनाथ को IIT-मद्रास के दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की उपाधि दी गई.
चेन्नई:

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी ISRO के चीफ एस सोमनाथ (S Somanath) ने IIT मद्रास से अपनी PhD की डिग्री पूरी कर ली है. शुक्रवार को IIT मद्रास के 61वें दीक्षांत समारोह (Convocation) में उन्हें PhD की डिग्री दी गई. एस सोमनाथ एयरोस्पेस इंजीनियर हैं. PhD की उपाधि मिलने के बाद वो अब वो डॉ. एस सोमनाथ हो गए हैं.

संस्कृत में सोमनाथ का अर्थ है 'चंद्रमा का भगवान'. सोमनाथ ने मिशन लूनर के लिए भारत के चंद्रयान-3 मिशन का नेतृत्व किया था. डॉ. सोमनाथ के पास पहले से ही करीब एक दर्जन मानद डॉक्टरेट की उपाधि है. भारत में हेवी लॉन्चर, लॉन्च मार्क व्हीकल मार्क-3 के प्रमुख डेवलपर के रूप में उनके काम और साउथ पोल के पास चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक उतारने में उनकी अहम भूमिका रही है. लेकिन रिसर्च के जरिए PhD की डिग्री लेना एक अलग बात है. आज एक गांव के लड़के का सपना पूरा हुआ है.
 

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डॉक्टरेट की उपाधि पाने के बाद डॉ. सोमनाथ ने कहा कि IIT-मद्रास जैसे प्रतिष्ठित ऑर्गनाइजेशन से डिग्री हासिल करना बहुत बड़े सम्मान की बात है. सोमनाथ कहते हैं, "एक गांव का लड़का होने के नाते मुझमें IIT का एंट्रेस एग्जाम देने की हिम्मत नहीं थी. भले ही मैं टॉपर रहा था. लेकिन मेरा सपना था कि एक दिन मैं यहां से ग्रैजुएट करूंगा. मैंने अपनी मास्टर डिग्री बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पूरी की. अब मुझे IIT मद्रास से डॉक्टरेट की उपाधि मिल गई है." 

डॉ. सोमनाथ ने NDTV से कहा, "PhD हमेशा मुश्किल होती है. खासकर IIT-मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में PhD करना इतना आसान नहीं होता. यह एक लंबी यात्रा रही है. मैंने कई साल पहले रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन रिसर्च सब्जेक्ट मेरे दिल के बहुत करीब था. .ये वाइब्रेशन आइसोलेटर्स के बारे में था, जिसे मैंने दशकों पहले ISRO प्रोजेक्ट में एक इंजीनियर के रूप में शुरू किया था. यह विषय मेरे दिमाग में जिंदा रहा. मैंने इस पर कई साल तक काम किया."

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सोमनाथ कहते हैं, "ये PhD मेरे पिछले 35 साल के काम का नतीजा है. आखिरी समय पर की गई कोशिशों, पेपर वर्क, सेमिनार... सब मिलाकर मेरी PhD डिग्री बनी. हालांकि, आप सिर्फ आखिरी फेज देख रहे हैं. लेकिन यात्रा बहुत लंबी है."

उन्होंने कहा, "विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के डायरेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भी मैंने इस लक्ष्य पर ध्यान नहीं दिया. फिर मुझे लगा कि मुझे अपनी जिंदगी में ऐसे सभी जुनूनों पर ध्यान देना चाहिए. उन्हें पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए."

IIT-मद्रास के मुताबिक, इस साल दीक्षांत समारोह में करीब 2,636 छात्रों को डिग्री दी गई. इसमें बीटेक डिग्री प्राप्त करने वाले ग्रैजुएट भी शामिल हैं. दीक्षांत समारोह में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर बीरन के कोबिल्का चीफ गेस्ट थे.

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