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इजरायल ईरान हिज्बुल्लाह की जंग के बीच भारत ने टी 90 टैंकों को बनाया और घातक, जानिए इसकी ताकत

India Made T90 Tanks More Lethal: भारत खाड़ी से लेकर दुनिया भर की हलचलों के बीच अपनी रक्षा तैयारियों को पूरी तेजी से आगे बढ़ा रहा है. जानिए टी 90 टैंकों की क्षमता...

इजरायल ईरान हिज्बुल्लाह की जंग के बीच भारत ने टी 90 टैंकों को बनाया और घातक, जानिए इसकी ताकत
T 90 टैंकों को भारत ने और भी घातक बना दिया है.

Israel Iran Hezbollah War Tension: ये नया टी 90 भीष्म टैंक (T 90 Bhisma Tank) है. भारतीय सेना का मेन बैटल टैंक. रूस की सहायता से बने टी 90 टैंक का सेना ने पहली बार ओवर हॉल किया है. इससे टैंक और ताकतवर हो गया है और इसकी मारक क्षमता भी बढ़ गई है. टी 90 टैंक वर्ष 2003 से ही भारतीय सेना का एक प्रमुख युद्धक टैंक है, जो अपनी मारक क्षमता, गति और सुरक्षा के लिए जाना जाता है. किसी भी टैंक के ओवर हॉल की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. इसमें सारे पार्ट्स को खोला जाता है और जो पार्ट्स खराब होता है उसे बदल दिया जाता है. ओवर हॉल के बाद टैंक बिल्कुल नए जैसे हो जाते हैं.

1700 से ज्यादा हैं टी 90

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टी-90 टैंक का ओवर हॉल सेना की कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स के दिल्ली कैंटोनमेंट स्थित 505 आर्मी बेस वर्कशॉप में किया गया है. दुश्मनों से कारगर तरीके से निपटने के लिए भारतीय सेना लगातार अपने तकनीकी कौशल को बढ़ा रही है. इस दिशा में टी-90 टैंक की ओवर हॉल की प्रक्रिया काफी अहम है, क्योंकि इससे देश में ही टैंकों के स्वदेशी रखरखाव और तकनीकी कौशल की झलक मिलती है. यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम है. इस टैंक को पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी के बाद तैनात किया गया था. सेना के पास अभी टी 90 टैंक की करीब 39 यूनिट हैं. हर यूनिट में करीब 45 टैंक होते हैं. इस तरह सेना के पास 1700 से ज्यादा टी-90 टैंक हैं. ये सेना के सबसे मजबूत टैंकों में से एक हैं.

इसकी खासियत और ताकत की बात करें तो इस टैंक का वजन करीब 48 टन है और इसकी लंबाई 9.6 मीटर और चौड़ाई 2.78 मीटर है. ये ज़मीन से 2.22 मीटर की ऊंचाई पर चलता है. आकार में छोटा होने की वजह से ये जंगल, पहाड़, दलदली इलाकों में तेजी से चल सकता है. और इसकी रफ्तार करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटे है.

इसकी मारक क्षमता की बात की जाए तो इसमें 125 मिलीमीटर की मोटाई वाला स्मूथबोर टैंक गनर लगा हुआ है, जो इसका ख़ास हथियार है. इससे कई तरह के गोले दागे जा सकते हैं और मिसाइलें भी. इससे 100 मीटर से 4 किलोमीटर तक की रेंज में सटीक निशाना लगाया जा सकता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज है करीब 550 किलोमीटर. इस टैंक में बस तीन लोग होते हैं, कमांडर, गनर और ड्राइवर. तीनों एक दूसरे से तालमेल कर दुश्मनों पर निशाना साधते हैं और टारगेट को बरबाद करके ही दम लेते हैं. इस टैंक के ऊपर एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी हुई है, जो दो किलोमीटर रेंज में हेलीकॉप्टर को मार गिरा सकती है. साथ ही इस टैंक से एक मिनट में 800 गोले छोड़े जा सकते हैं. टैंक की खासियत यह है कि इसमें ऑटोमेटिक और मैन्युअल तरीके से भी मिसाइल और गोलियां फायर की जा सकती हैं. यह टैंक थर्मल इमेजिंग तकनीक से लैस है, जिसके जरिए 6 किलोमीटर दूर तक के इलाकों पर पैनी निगाह रखी जा सकती है.

जैविक हमले से निपटने में सक्षम

जमीनी लड़ाई में ये टैंक भारतीय सेना (Indian Army) का सबसे भरोसेमंद साथी है. इसे पहले रूस से खरीदा जाता था लेकिन अब इसे भारत में ही बनाया जाता है. टी90 टैंक युद्ध के मैदान में किसी भी विरोधी के हौसले को पस्त कर सकता है. इसकी मजबूती देखें तो भीष्म कई तरह के रॉकेट के हमले भी झेल सकता है. यह टैंक एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर है, जिसे आप टैंक का बुलेट प्रूफ जैकेट भी कह सकते हैं. ये टैंक जैविक और रासायनिक हमले से निपटने में भी सक्षम है. शायद इसकी ताक़त और क्षमता देखते हुए ही इसे भीष्म का नाम दिया गया है- यानी एक ऐसी दीवार, जिसे कोई भेद नहीं सकता.

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