इशरत जहां का फाइल फोटो
अहमदाबाद:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुजरात के विधि राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा से इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आज पूछताछ की।
सीबीआई सूत्रों ने गुजरात के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी को नोटिस जारी करके उन्हें अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा था।
सूत्रों ने बताया कि गांधीनगर में जडेजा से नवम्बर 2011 में हुई एक कथित बैठक के संबंध में पूछताछ की गई जो इशरत जहां और तीन अन्य के फर्जी मुठभेड़ की ‘‘जांच में बाधा डालने’’ की रणनीति पर फैसले के लिए बुलाई गई थी। बैठक में हिस्सा लेने वाले नौ व्यक्तियों में शामिल निलंबित आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल ने जांचकर्ताओं को दो पेनड्राइव सौंपे हैं, जिसमें बैठक की बातचीत रिकॉर्ड की गई है। सिंघल अब जमानत पर हैं, क्योंकि एजेंसी उनके खिलाफ निर्धारित 90 दिन के भीतर आरोपपत्र दायर करने में असफल रही।
महाधिवक्ता त्रिवेदी के निजी चैंबर में हुई बैठक में शामिल व्यक्तियों में जीएल सिंघल, सिंघल के वकील मित्र रोहित वर्मा, जीसी मुरमू, एके शर्मा, तत्कालीन गृह राज्य मंत्री प्रफुल पटेल, जडेजा, पूर्व मंत्री एवं अब कृषि मंत्री भूपेंद्रसिंह चूड़ास्मा तथा इशरत मामले में अन्य आरोपी तरण बरोट शामिल थे।
गत सप्ताह सीबीआई ने मुख्यमंत्री के सचिव मुरमू और अपराध शाखा के संयुक्त सचिव एके शर्मा से पूछताछ की थी। एजेंसी ने गत सप्ताह आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा से उनके उस त्यागपत्र के संबंध में पूछताछ की थी, जिसमें उन्होंने फर्जी मुठभेड़ के मामलों में जेल में बंद पुलिस अधिकारियों को बचाने में असफल रहने के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधा था।
सीबीआई के आरोपपत्र में सिंघल, वंजारा, निलंबित आईपीएस अधिकारियों पीपी पांडेय और तरुण बरोट, एनके अमीन, सेवानिवृत्त डीएसपी जेजी परमार और कमांडो अनाजू चौधरी के नाम थे। सीबीआई ने 19 वर्षीय इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लै, जीशान जौहर और अमजद अली राणा की जून 2004 में भुठभेड़ में मौत के संबंध में उन पर हत्या, आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया था। सीबीआई ने जुलाई 2013 में आरोपपत्र दायर करते हुए कहा था कि इस मामले की सीबीआई जांच जारी है।
सीबीआई सूत्रों ने गुजरात के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी को नोटिस जारी करके उन्हें अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा था।
सूत्रों ने बताया कि गांधीनगर में जडेजा से नवम्बर 2011 में हुई एक कथित बैठक के संबंध में पूछताछ की गई जो इशरत जहां और तीन अन्य के फर्जी मुठभेड़ की ‘‘जांच में बाधा डालने’’ की रणनीति पर फैसले के लिए बुलाई गई थी। बैठक में हिस्सा लेने वाले नौ व्यक्तियों में शामिल निलंबित आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल ने जांचकर्ताओं को दो पेनड्राइव सौंपे हैं, जिसमें बैठक की बातचीत रिकॉर्ड की गई है। सिंघल अब जमानत पर हैं, क्योंकि एजेंसी उनके खिलाफ निर्धारित 90 दिन के भीतर आरोपपत्र दायर करने में असफल रही।
महाधिवक्ता त्रिवेदी के निजी चैंबर में हुई बैठक में शामिल व्यक्तियों में जीएल सिंघल, सिंघल के वकील मित्र रोहित वर्मा, जीसी मुरमू, एके शर्मा, तत्कालीन गृह राज्य मंत्री प्रफुल पटेल, जडेजा, पूर्व मंत्री एवं अब कृषि मंत्री भूपेंद्रसिंह चूड़ास्मा तथा इशरत मामले में अन्य आरोपी तरण बरोट शामिल थे।
गत सप्ताह सीबीआई ने मुख्यमंत्री के सचिव मुरमू और अपराध शाखा के संयुक्त सचिव एके शर्मा से पूछताछ की थी। एजेंसी ने गत सप्ताह आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा से उनके उस त्यागपत्र के संबंध में पूछताछ की थी, जिसमें उन्होंने फर्जी मुठभेड़ के मामलों में जेल में बंद पुलिस अधिकारियों को बचाने में असफल रहने के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधा था।
सीबीआई के आरोपपत्र में सिंघल, वंजारा, निलंबित आईपीएस अधिकारियों पीपी पांडेय और तरुण बरोट, एनके अमीन, सेवानिवृत्त डीएसपी जेजी परमार और कमांडो अनाजू चौधरी के नाम थे। सीबीआई ने 19 वर्षीय इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लै, जीशान जौहर और अमजद अली राणा की जून 2004 में भुठभेड़ में मौत के संबंध में उन पर हत्या, आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया था। सीबीआई ने जुलाई 2013 में आरोपपत्र दायर करते हुए कहा था कि इस मामले की सीबीआई जांच जारी है।
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