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This Article is From Aug 26, 2014

कमाल खान की रिपोर्ट : यूपी में बात−बात पर दंगे, कहीं साजिश तो नहीं?

यूपी सांप्रदायिक दंगों के दौरान पुलिसिया कार्रवाई

लखनऊ:

यूपी में आए दिन छोटी−छोटी घटनाएं सांप्रदायिक दंगों की शक्ल ले रही हैं। मोहब्बत को भी सांप्रदायिक बनाया जा रहा है। चोरी जैसी बात पर भी दंगे भड़क रहे हैं। हमारे सहयोगी कमाल खान ने ऐसी ही कुछ घटनाओं का जायजा लिया और जानने की कोशिश की है कि कहीं ये किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं।

कानपुर के घाटमपुर का भीतरगांव
एक मजहब को मानने वालों के डेढ़ दर्जन घर और दुकानें जलाई और लूटी गईं। इनका कसूर सिर्फ यह है कि एक ही मजहब को मानने वाले एक शख्स ने चोरी के एक मुलजिम को पीट दिया था, जिसका मजहब दूसरा था। बस क्या था, चोर के मजहब को मानने वालों ने पीटने वालों के घरों और दुकानों में आग लगाई और लूट की। इसमें एक शख्स की मौत हो गई। हालांकि चोर मजहब देख के चोरी नहीं करते और मौके पर पकड़े जाने पर लोग चोर की पिटाई से पहले उसका धर्म नहीं पूछते। इसलिए ऐसा लगता है कि इसके पीछे साजिश थी।

कानपुर जोन के आईजी आशुतोष पांडे का कहना है कि जिन लोगों ने दंगा भड़काने की कोशिश की, उन पर कार्रवाई की जाएगी। जिन लोगों ने आग लगाई है उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

फैजाबाद में एक पुलिस चौकी जला दी गई। पुलिस वालों को पीटा गया। बाजार बंद कराया गया। दंगे के डर से एक मजहब के लोगों ने अपने घर की औरतों को दूसरे जिले में भेज दिया। वजह यह थी एक तो अलग मजहब के लड़के और लड़की के बीच रिश्ते थे और लड़की लड़के पर शादी का दबाव बना रही थी। लड़के की नीयत में खोट था। लड़के ने लड़की को मार डाला और लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया। मामला यह बनाया कि एक मजहब के लड़के ने दूसरे मजहब की लड़की को अगवा किया और गैंगरेप के बाद मार डाला, जबकि पुलिस कहती है कि लड़की अपनी मर्जी से गई थी। दोनों में इतनी दोस्ती थी कि दोनों में दिन में दर्जनों बार बातें होती थीं।

फैजाबाद के एसएसपी केबी सिंह ने कहा कि अभियुक्त का कहना है कि वह लड़की से पीछा छुड़ाना चाहता था। दोनों के फोन कॉल डिटेल बताते हैं कि दोनों में 1600 से ज्यादा बार फोन पर बातें हुईं।

मैनपुरी में भी सांप्रदायिक संघर्ष हो गया। समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इसी लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया है। 13 सितंबर को यहां उपचुनाव होने हैं। यहां पर भी दो अलग-अलग मजहब के लड़के और लड़की के बीच मोहब्बत थी।

लड़के की दुकान में दोनों को साथ पकड़ लिया गया। लड़के को पकड़कर पेड़ से बांध के पीटा गया और जलाने की कोशिश भी की गई। जिस स्थानीय पत्रकार ने इसे शूट किया, उसका कैमरा छीनकर इसे इरेज़ कर दिया गया। आसपास की दस गुमटियों में आग लगा दी गई। पथराव और तोड़-फोड़ हुई। बीजेपी के लोग ऐसी घटनाओं को मुस्लिम लड़कों की हिन्दू लड़कियों के खिलाफ साजिश बताते हैं।

भाजपा नेता विनय कटियार कहते हैं कि 'लव जिहाद' चल रहा है। 'लव जिहाद' के कारण दंगे हो रहे हैं। लड़कियों के साथ अपहरण बलात्कार हो रहे हैं। सामूहिक दुराचार हो रहा है और इसमें तब से तेजी आ गई है, जब से अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार आई है।

वहीं, कांग्रेस, बीएसपी और समाजवादी पार्टी तीनों यह आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी चुनावी फायदा उठाने के लिए यूपी में सांप्रदायिक संघर्ष करा रही है।

समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल का कहना है कि मुझे तकलीफ है कि प्रधानमंत्री जी 15 अगस्त को अपने भाषण में तो कह रहे हैं कि 10 साल तक इस देश में सांप्रदायिकता को बंद करना चाहिए, लेकिन उनकी पार्टी वाले उसका उलटा कर रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि चोर से कहो चोरी करे और शाह से कहो जागते रहो।

मोहब्बत को मजहब की सरहदों से नहीं बांधा जा सकता और अपराध का भी अकसर धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता है, लेकिन दोनों को सांप्रदायिक बनाने की कोशिशें हो रही हैं, जो समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है।

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यूपी में सांप्रदायिक हिंसा, मजहब के नाम पर हिंसा, यूपी में साजिश, कमाल खान की रिपोर्ट, Communal Riots In UP, Conspiracy On Communal Riots
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