महाराष्ट्र के बहुचर्चित सिंचाई घोटाले में एनसीपी नेताओं के खिलाफ़ शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है। राज्य के सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन ने पिछली सरकार के करीब 625 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स रद्द कर दिए हैं। इसी के साथ कुल 14 प्रोजेक्ट्स की एन्टी करप्शन ब्यूरो से जांच के आदेश भी जारी हो चुके हैं।
एनडीटीवी इंडीया से बात करते हुए मंत्री ने बताया कि, पिछली सरकार में मंत्री रहे सुनील तटकरे और अजित पवार के द्वारा बतौर सिंचाई मंत्री लिए कई फैसलों को रद्द कर दिया गया है। इन फैसलों में अनियमितता पाई गई। प्रोजेक्ट्स की कीमतें बढ़ाना, किसी भी मंजूरी के बिना सिंचाई प्रोजेक्ट्स को अनुमति देने जैसी अनियमितताओं के चलते मौजूदा सरकार को इन प्रोजेक्ट्स को रद्द करना पड़ा है। इसी के साथ मंत्री ने यह भी घोषणा कर दी कि, जरूरत पड़ी तो इन मामलों की जांच के लिए सरकार एसआईटी का गठन भी करेगी।
ज्ञात हो कि अजित पवार और सुनील तटकरे एनसीपी के वरिष्ठ नेता हैं। अजित पवार तो राज्य के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
सरकारी आदेश के अनुसार कुल 128 सिंचाई प्रोजेक्ट्स के पुराने टेन्डर्स रद्द किए गए हैं। सरकार ने प्राथमिक जांच में पाया है कि, इन में से कई प्रोजेक्ट्स के वर्क ऑर्डर जारी न होने के बावजूद कॉन्ट्रैक्टर को कुछ रकम दी गई थी। साथ ही कुछ प्रोजेक्ट्स तो जरूरी भी नहीं थे।
राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जिस 14 सिंचाई प्रोजेक्ट्स के जांच के आदेश दिए हैं उन में से 12 प्रोजेक्ट्स कोंकण क्षेत्र में है। जब की दो विदर्भ के हैं।
बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सिंचाई मंत्री सुनील तटकरे ने कहा कि, वे किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। जांच से सच सामने आ जाएगा।
महाराष्ट्र में सत्ता में आने से पहले चुनाव प्रचार के समय बीजेपी ने सिंचाई घोटाले को जबरदस्त मुद्दा बनाया था। अपने प्रचार में बीजेपी ने सिंचाई घोटाले को 70 हजार करोड़ का मामला बताया था। राज्य की पिछली सरकार में कांग्रेसी मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस घोटाले की जांच के लिए गठित कमिटी कि रिपोर्ट जब सार्वजनिक की तब सारे नेता बेदाग निकल गए।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं