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This Article is From Nov 12, 2021

सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू की जा सकती है : बिजली मंत्रालय

यह स्पष्टीकरण मद्रास उच्च न्यायालय में दक्षिण भारत निगम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शुरू की गई गई कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के खिलाफ तमिलनाडु उत्पादन एवं वितरण कंपनी (टैंजेडको) द्वारा दायर एक मामले के संदर्भ में आया है.

सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू की जा सकती है : बिजली मंत्रालय
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

बिजली मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि लेनदारों द्वारा भुगतान में चूक के मामले में सरकार के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के साथ-साथ बिजली उत्पादन कंपनियों के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू की जा सकती है. मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में कानूनी मामलों के विभाग के सचिव को लिखे एक पत्र में अपना रुख स्पष्ट किया. यह स्पष्टीकरण मद्रास उच्च न्यायालय में दक्षिण भारत निगम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शुरू की गई गई कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के खिलाफ तमिलनाडु उत्पादन एवं वितरण कंपनी (टैंजेडको) द्वारा दायर एक मामले के संदर्भ में आया है.

मंत्रालय ने पत्र में कहा है, ‘‘जहां तक ​​टैंजेडको जैसी सरकारी स्वामित्व वाली (बिजली) वितरण और उत्पादन कंपनी का संबंध है, यह स्पष्ट है कि यह कंपनी अधिनियम की धारा 2 (45) के तहत परिभाषित एक सरकारी कंपनी है और दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत आती है.'' मंत्रालय ने यह भी कहा कि टैंजेडको को सरकारी निकाय के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है, जो कि संप्रभु सरकारी कार्य करने के लिए एक क़ानून के माध्यम से बनता है.

वास्तव में, यह कंपनी अधिनियम 2013 के तहत गठित एक सरकारी कंपनी है और दिवाला संहिता की धारा 3 (7) के अनुसार आईबीसी के दायरे में आती है. इसलिए सरकार के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनी के भुगतान में चूक के मामले को आईबीसी के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में ले जाया जा सकता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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