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This Article is From Mar 01, 2015

जम्मू-कश्मीर : 'एक विधान, एक प्रधान, एक निशान' को छोड़ 'इंसानियत, कश्मीरियत, जम्हूरियत'

जम्मू-कश्मीर : 'एक विधान, एक प्रधान, एक निशान' को छोड़ 'इंसानियत, कश्मीरियत, जम्हूरियत'
जम्मू:

जम्मू-कश्मीर की सियासत में ऐतिहासिक दिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की साझा सरकार ने प्रदेश की बागडोर सम्हाल ली है। गठबंधन पर मुहर लगाने के लिए शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद जम्मू विश्वविद्यालय के ज़ोरावर सिंह प्रेक्षागृह पहुंचे।

दशकों तक बीजेपी की जम्मू कश्मीर नीति की धुरी रही संविधान की धारा 370 ( जिसके तहत राज्य को विशेष दर्जा हासिल है) को गठबंधन सरकार के साझा कार्यक्रम में जगह नहीं दी गई है। यह मुद्दा अब बीजेपी के लिए ठंडे बस्ते में चला गया है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के 'एक विधान, एक प्रधान, एक निशान' की जगह पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी कि कश्मीर नीति 'इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत' ने ले ली है। जम्मू-कश्मीर में अब यही बीजेपी का ऑफिशियल एजेंडा है।

पीडीपी प्रमुख मुफ़्ती मोहम्मद सईद और उनके कैबिनेट को राज्यपाल एनएन वोहरा ने शपथ दिलाई। बीजेपी के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी थी कि यह मौका बीजेपी के लिए कितना अहम था।

राज्य की नई सरकार में बीजेपी के डॉ. निर्मल सिंह उप मुख्यमंत्री होंगे, जबकि अलगाववाद का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में शामिल हुए सज्जाद लोन को भी बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ दिलाई गई है। हालांकि, लोन को मंत्री बनाए जाने पर पीडीपी को ऐतराज़ था, लेकिन बीजेपी अपनी बात मनवाने में कामयाब रही।

मुफ्ती मोहम्मद सईद ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद रेजीडेंसी रोड स्थित अपने नए आधिकारिक निवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह गठबंधन मौकापरस्ती नहीं, बल्कि पूरी दृढ़ता के साथ किया गया समझौता है। हालांकि उन्होंने ये कहकर सबको चौंका दिया कि विधानसभा चुनावों शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने देने में पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का अहम किरदार रहा। साथ ही यह भी जोड़ा कि 'अब बंदूक और गोली नहीं, बल्कि बोली से कश्मीर के सभी विवादस्पद मुद्दों का हल निकलने का ऐतिहासिक मौका आया है।'

साझा न्यूनतम कार्यक्रम में अफस्पा पर मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि उनकी सरकार सेना की जवाबदेही तय करेगी और यह अच्छी तरह पता है यह काम कैसे करना है। इसके अलावा कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास, पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को बेहतर जीवन यापन के संसाधन मुहैया करवाने का वादा भी सरकार ने किया है।

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