INS Vikrant ने विदेश के पहले पीएम-ऑस्‍ट्रेलिया के एंथोनी अल्‍बनीज का किया स्‍वागत

पिछले साल मई में ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद अल्बनीस की यह पहली भारत यात्रा है.

INS Vikrant ने विदेश के पहले पीएम-ऑस्‍ट्रेलिया के एंथोनी अल्‍बनीज का किया स्‍वागत

पिछले साल मई में ऑस्‍ट्रेलिया के पीएम का पद संभालने के बाद अल्बनीस की यह पहली भारत यात्रा है

खास बातें

  • ऑस्‍ट्रेलिया के पीएम को विमान वाहक पोत पर दिया गया 'गार्ड ऑफ ऑनर'
  • कहा-INS विक्रांत पर आकर मैं सम्‍मानित महसूस कर रहा हूं
  • ऑस्ट्रेलियाई दृष्टिकोण के केंद्र में भारत को रखने को मेरी सरकार प्रतिबद्ध
नई दिल्‍ली :

भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत, INS Vikrant ने गुरुवार को पहले विदेशी प्रधानमंत्री की यात्रा का गवाह बना.  भारत की यात्रा पर आए ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्‍बनीज को आज इस विमान वाहक पोत पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.अल्बनीज ने एक बयान में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर मैं हाल ही में कमीशन किए गए, भारत में डिजाइन और निर्मित INS विक्रांत पर आकर सम्‍मानित महसूस कर रहा हूं. मेरी यात्रा हिंद-प्रशांत क्षेत्र और इससे परे, ऑस्ट्रेलियाई दृष्टिकोण के केंद्र में भारत को रखने के लिए मेरी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.”

पीएम मोदी की प्रशंसा में कही यह बात..

पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में अल्‍बनीज ने कहा, ''...जो चीज रक्षा संबंधों को नए स्तर तक ले जाती है, वह उन लोगों का संकल्प और दूरदर्शिता है जो रिश्ते को न सिर्फ इस तौर पर देखते हैं कि यह क्या है, बल्कि इस नजरिये से भी कि यह क्या हो सकते हैं?  प्रधानमंत्री मोदी ऐसे ही एक व्यक्ति हैं.''  बता दें, अल्बनीज का यह दौरा भारत और आस्ट्रेलिया की दोस्ती के 75 साल पूरे होने से जुड़े जश्न का हिस्सा है. 

पीएम बनने के बाद अल्‍बनीज की यह पहली भारत यात्रा

पिछले साल मई में ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद अल्बनीस की यह पहली भारत यात्रा है. गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध प्रगाढ़ हुए हैं. भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ECTA) दिसंबर में लागू हुआ था और उम्मीद है कि यह दो-तरफा व्यापार के विस्तार में मददगार साबित होगा. जून 2020 में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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