
- आईएनएस सूरत से अरब सागर में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में आईएनएस सूरत को नौसेना को समर्पित किया, जो नौसेना के इतिहास में एक दुर्लभ अवसर है.
- आईएनएस सूरत प्रोजेक्ट P15 B का चौथा और अंतिम गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है, जो अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर सिस्टम से लैस है.
देश में एक युद्धपोत की आजकल बहुत चर्चा है. इस युद्धपोत का नाम है आईएनएस सूरत. ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले और पहलगाम हमले के बाद आईएनएस सूरत से अरब सागर में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया गया था और इस टेस्ट में मिसाइल ने सफलतापूर्वक समुद्र में अपने टारगेट को तबाह कर दिया. इसके जरिए पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की कोशिश की गई. यह काफी हद तक कारगर भी रहा. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दूसरे युद्धपोतों के साथ आईएनएस सूरत भी अरब सागर में तैनात था. पाकिस्तानी नौसेना के लिए साफ संकेत था कि अगर पाकिस्तान की नौसेना कराची बंदरगाह से बाहर निकली तो उसकी खैर नहीं. हुआ भी यही, पाक नौसेना के जहाज कराची बंदरगाह से बाहर ही नहीं निकले.
एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में आईएनएस सूरत के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन संदीप शौरी कहते है कि हम बहुत खुश है कि हमें ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लेने का मौका मिला. यह हमारे लिए बहुत अच्छी ट्रेनिंग रही. उस वक्त भी हर तरह से तैयार थे और आज भी हैं. नेवी का जो काम था हमने किया. किसी खास देश की बात नहीं करूंगा. यह सबको पता है कि नौसेना की क्षमता क्या है और नौसेना के जहाज क्या कर सकते हैं.

पीएम मोदी ने इसी साल देश को किया समर्पित
इसी साल जून महीने में कोच्चि के पास सिंगापुर के एमवी वान हाई 503 जहाज में लगी आग के दौरान आईएनएस सूरत ने इसमें सवार 18 क्रू मेंबर को सुरक्षित बचाया, जो आग लगने से घायल हो गए थे उनका इलाज किया. इसके लिये चीन ने भारतीय नौसेना को धन्यवाद भी दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल 15 जनवरी को आईएनएस सूरत को देश को समर्पित किया है. नौसेना के इतिहास में ऐसा बहुत कम अवसर आए है, जब किसी युद्धपोत को प्रधानमंत्री ने नौसेना को सौंपा है.

विशाखापट्टनम क्लास का यह चौथा विध्वसंक
आईएनएस सूरत प्रोजेक्ट P15 B क्लास का आखिरी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर हैं. विशाखापट्टनम क्लास का यह चौथा विध्वसंक है. यह दुनिया के सबसे बड़े और आधुनिक विध्वंसकों में से एक है. इसमें अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम लगे हैं. इसके हैंगर से चेतक, ध्रुव, सी किंग और नए एमएच 60R जैसे हेलीकॉप्टर ऑपरेट कर सकते हैं. इसकी नेटवर्क संबधित आधुनिक सुविधाएं इसे और शक्तिशाली बनाती हैं. यह अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस है.
इसका नाम सूरत शहर पर रखा गया जो कभी भारत का पश्चिमी दरवाजा कहा जाता था. उस वक्त यह बंदरगाह हिंदुस्तान को बाकी दुनिया से जोड़ता था. यहां बहुत पुराना बंदरगाह भी है. इसका क्रेस्ट पंचकोणीय है, जिसमें हजीरा लाइट हाउस और गीर का शेर बना हुआ हैं.

ये हैं युद्धपोत की खूबी
- आईएनएस सूरत भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा डिस्ट्रॉयर है.
- लंबाई 164 मीटर, चौड़ाई 18 मीटर और इसकी गहराई 7 मीटर है.
- इसकी रफ्तार करीब 55 किलोमीटर और इसका वजन 7600 टन है.
- पहला स्वदेशी युद्धपोत है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल.
इस युद्धपोत को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने बनाया है. बड़ी बात ये भी है कि इसे लांच होने के रिकॉर्ड 31 महीने में कमीशन कर दिया है. इसे 17 मई 2022 को लॉन्च किया गया और 15 जनवरी 2025 को यह नौसेना में शामिल हो गया. इसका हैंगर दो हेलीकॉप्टर को ऑपरेट करने लायक हैंगर है. साथ ही खास बात है कि इसका 75 फीसदी साजोसामान देश में ही बना है. इसमें जितने वेपन और सेंसर लगाए गए हैं, वह भी देश में ही बने हैं.
इन हथियारों से है लैस
- इसमें अर्ली वार्निंग रडार लगे है.
- देश मे ही बने दो ट्विन ट्यूब तारपीडो लांचर हैं.
- देश में ही बने रॉकेट लांचर लगे हैं.
- कम दूरी तक मार करने वाली AK 630 गन लगी हैं.
- यह सरफेस टू सरफेस मिसाइल ब्रह्मोस से भी लैस है.
- साथ ही मीडियम रेंज की सरफेस टू एयर बराक मिसाइल भी है.
- युद्धपोत में मीडियम रेंज तक मार करने वाली सुपर रैपिड गन भी है.
यही कारण है कि इस युद्धपोत का स्लोगन है वी डेयर. इसके लोगो में शेर बना हुआ है जो अंगेजी के अक्षर एस के आकार का है, जो स्ट्रेंथ और सुप्रीमेसी का प्रतीक है.
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