भारत-अमेरिका संबंध पहले से ज़्यादा 'मज़बूत और गहरे' : US यात्रा से पहले WSJ से बोले PM नरेंद्र मोदी

अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान PM नरेंद्र मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित करेंगे, जो इससे पहले दुनियाभर के नेताओं के लिए बेहद दुर्लभ उपलब्धि रही है. वह व्यापार जगत के नेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात करेंगे, और व्हाइट हाउस में राजकीय भोज में राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ शिरकत करेंगे.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा शुरू करने से पहले कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत और गहरे हैं और दोनों देशों के नेताओं के बीच अभूतपूर्व विश्वास बना हुआ है. गौरतलब है कि अमेरिका की ओर से राजकीय यात्रा का निमंत्रण बेहद करीबी सहयोगियों को ही दिया जाता है, और यह राजनयिक दृष्टिकोण से सबसे बड़ा सम्मान है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के साथ एक साक्षात्कार में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल के वक्त में भारत वैश्विक मंच पर बहुत ऊंची, गहरी और व्यापक भूमिका का हकदार है.

मंगलवार सुबह अमेरिका की पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा के लिए रवाना हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''हम भारत को किसी देश का स्थान लेने वाले के रूप में नहीं देखते हैं... हम इस समूची प्रक्रिया को भारत द्वारा विश्व में अपना सही स्थान हासिल करने के रूप में देखते हैं..."

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उन्होंने कहा कि भारत को ग्लोबल साउथ (एशिया, अफ़्रीका और दक्षिणी अमेरिका के मुल्क) के स्वाभाविक नेता के रूप में चित्रित किया जाना चाहिए, और यही विकासशील देशों की आकांक्षाओं की आवाज़ है.

तीन दिन की अमेरिका यात्रा के दौरान PM नरेंद्र मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित करेंगे, जो इससे पहले दुनियाभर के नेताओं के लिए बेहद दुर्लभ उपलब्धि रही है. वह व्यापार जगत के नेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात करेंगे, और व्हाइट हाउस में राजकीय भोज में राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ शिरकत करेंगे.

PM की अमेरिका यात्रा के दौरान अत्याधुनिक हल्के लड़ाकू विमानों (LCA) के लिए जेट इंजन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बेहद ऊंचाई तक जा सकने वाले हथियारबंद ड्रोन की खरीद पर अभूतपूर्व सौदा होने की उम्मीद है.

साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग 'हमारी साझीदारी का महत्वपूर्ण स्तंभ' है, जो व्यापार, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा के क्षेत्रों तक फैला हुआ है.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संस्थानों में आमूलचूल परिवर्तन का आह्वान किया, ताकि उन्हें बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व करने में सक्षम बनाया जा सके.

प्रधानमंत्री ने उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की सदस्यता की पुरज़ोर वकालत की. उन्होंने कहा, "परिषद की मौजूदा सदस्यता का मूल्यांकन होना चाहिए और दुनिया से पूछा जाना चाहिए कि क्या वह भारत को वहां रखना चाहती है..."

PM नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं आज़ाद भारत में पैदा हुआ पहला प्रधानमंत्री हूं, और इसीलिए मेरी विचार प्रक्रिया, मेरा आचरण, मैं जो कहता और करता हूं, वह मेरे देश की विशेषताओं और परंपराओं से प्रेरित और प्रभावित है... इससे मुझे ताकत मिलती है..."

उन्होंने कहा, "मैं अपने देश को दुनिया के सामने वैसे ही पेश करता हूं, जैसा मेरा देश है, और खुद को भी वैसा ही, जैसा मैं हूं..."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के वर्षों में अक्सर बने रहे सीमा तनाव के बीच चीन के बारे में पूछे गए सवालों का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा, "चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन ज़रूरी है..."

उन्होंने कहा, "संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानूनों का पालन करने और मतभेदों व विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में हमारा विश्वास है... लेकिन साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार और प्रतिबद्ध है..."

उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर भी बात की, और आलोचनाओं के बीच रूस को लेकर भारत के रुख का बचाव किया. PM ने कहा कि सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए... विवादों को 'कूटनीति और बातचीत' से सुलझाया जाना चाहिए, युद्ध से नहीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि हम तटस्थ हैं... लेकिन हम तटस्थ नहीं हैं, हम शांति के पक्ष में हैं..." उन्होंने कहा, "दुनिया को पूरा भरोसा है कि भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता शांति है..."

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उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर ज़ेलेंस्की से बात की थी. उन्होंने कहा कि भारत जो कुछ भी कर सकता है, करेगा और "युद्ध को खत्म करने और स्थायी शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करेगा..."