पंचकूला:
हाल ही में प्रशिक्षित की गई 500 महिला कर्मियों की एक टुकड़ी को शुक्रवार को यहां भारत और तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में शामिल कर दिया गया। भारत और चीन सीमा के ऊचें स्थानों पर तैनात किया जाने वाला यह प्रथम ‘महिला’ दस्ता होगा। कांस्टेबल रैंक की महिलाओं ने लड़ाई और पर्वतों पर रहने का 44 हफ्तों का प्रशिक्षण पाया है।
इन्हें 3, 488 किलोमीटर लंबी चीन और भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगी आईटीबीपी की चौकियों पर तैनात करने से पहले आखिरी अनुकूलन के लिए अब सीमावर्ती इलाकों में भेजा जाएगा।
इन महिला टुकड़ियों को 8,000 से 14,000 फुट की उंचाई पर स्थित आईटीबीपी की करीब 20 अग्रिम चौकियों पर इस साल मार्च तक तैनात किए जाने की उम्मीद है। इनमें माना दर्रा सीमा चौकी भी शामिल है, जो उत्तराखंड में भारत की सीमा के अंदर आखिरी गांव है।
आईटीबीपी महानिदेशक कृष्ण चौधरी ने नए कर्मियों के पासिंग आउट परेड की समीक्षा के बाद उनसे अपने सर्वश्रेष्ठ कौशल का हिमलाय के सर्वाधिक दुर्गम स्थानों पर प्रदर्शन करने को कहा जिसे उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान सीखा है।
चौधरी ने कहा कि आपकी आखिरी तैनाती से पहले आपका क्षेत्र प्रशिक्षण और उच्च स्थानों पर अनुकूलन होगा। मैं आश्वस्त हूं कि आप देश और बल को गौरवान्वित करेंगे। गौरतलब है कि 1962 के चीनी आक्रमण के बाद आईटीबीपी का गठन किया गया था। बल की योजना इन अग्रिम चौकियों पर इसकी क्षमता का कम से कम 40 फीसदी महिलाओं को रखे जाने की है।
इन्हें 3, 488 किलोमीटर लंबी चीन और भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगी आईटीबीपी की चौकियों पर तैनात करने से पहले आखिरी अनुकूलन के लिए अब सीमावर्ती इलाकों में भेजा जाएगा।
इन महिला टुकड़ियों को 8,000 से 14,000 फुट की उंचाई पर स्थित आईटीबीपी की करीब 20 अग्रिम चौकियों पर इस साल मार्च तक तैनात किए जाने की उम्मीद है। इनमें माना दर्रा सीमा चौकी भी शामिल है, जो उत्तराखंड में भारत की सीमा के अंदर आखिरी गांव है।
आईटीबीपी महानिदेशक कृष्ण चौधरी ने नए कर्मियों के पासिंग आउट परेड की समीक्षा के बाद उनसे अपने सर्वश्रेष्ठ कौशल का हिमलाय के सर्वाधिक दुर्गम स्थानों पर प्रदर्शन करने को कहा जिसे उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान सीखा है।
चौधरी ने कहा कि आपकी आखिरी तैनाती से पहले आपका क्षेत्र प्रशिक्षण और उच्च स्थानों पर अनुकूलन होगा। मैं आश्वस्त हूं कि आप देश और बल को गौरवान्वित करेंगे। गौरतलब है कि 1962 के चीनी आक्रमण के बाद आईटीबीपी का गठन किया गया था। बल की योजना इन अग्रिम चौकियों पर इसकी क्षमता का कम से कम 40 फीसदी महिलाओं को रखे जाने की है।
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