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This Article is From Aug 03, 2023

"सुरक्षा हमारी 1,2,3 प्राथमिकता": टेल स्ट्राइक की घटनाओं पर बोले इंडिगो चीफ

इंडिगो के प्रमुख पीटर एल्बर्स ने टेल स्ट्राइक की घटनाओं पर कहा कि वे इस बारे में पारदर्शी हैं और जांच पूरी होने के बाद जो भी जरूरी कदम होंगे, वो उठाएंगे.

"सुरक्षा हमारी 1,2,3 प्राथमिकता": टेल स्ट्राइक की घटनाओं पर बोले इंडिगो चीफ
4 बार टेल स्ट्राइक की घटनाएं सामने आने के बाद DGCA ने इंडिगो पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

देश की सबसे प्रमुख एयरलाइन कंपनियों में शुमार इंडिगो टेल स्ट्राइक को लेकर काफी चर्चा में हैं. हालिया सुरक्षा चिंताओं को लेकर इंडिगो डीजीसीए की जांच के दायरे में आई. जिस पर इंडिगो ने कहा कि टेल स्ट्राइक से पहले उसका सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत मजबूत था, जिसकी वजह से उस पर खास ध्यान गया. एक विशेष इंटरव्यू में, कंपनी के प्रमुख पीटर एल्बर्स ने कहा कि वे इस बारे में पारदर्शी हैं और जांच पूरी होने के बाद जो भी आवश्यक कदम होंगे, वो उठाए जाएंगे. एल्बर्स ने सेफ्टी अपडेशन को "निरंतर प्रक्रिया" बताते हुए कहा, "सुरक्षा हमारी प्रमुख तौर पर पहली, दूसरी और तीसरी प्राथमिकता है."

इससे पहले आज, इंडिगो ने जून तिमाही में ₹ 3,090.6 करोड़ का अपना अब तक का सबसे अधिक तिमाही लाभ दर्ज किया. देश की सबसे बड़ी एयरलाइन, जिसके बेड़े में जून के अंत में 316 विमान थे, इंडिगो ने पिछले साल जून तिमाही में 1,064.3 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था. पिछले छह महीनों में ए-321 विमान के पिछले हिस्से से टकराने की चार घटनाएं होने के बाद डीजीसीए ने इंडिगो पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. टेक-ऑफ या लैंडिंग के दौरान विमान का पिछला हिस्सा रनवे के संपर्क में आने को टेल स्ट्राइक कहा जाता है.

हालांकि नियामक इस मुद्दे पर इंडिगो की प्रतिक्रियाओं से संतुष्ट नहीं है और कहा कि उनमें खामियां हैं. इस मामले के बारे में पूछे जाने पर, एल्बर्स ने कहा, "हमें हाल ही में डीजीसीए ने इस बारे में लिखा है... बेशक, वे बहुत गंभीर हैं और आज हम इसका मूल्यांकन करने की प्रक्रिया में हैं... और फिर हम अपना अगला कदम तय करेंगे." ". हाल ही में, "द हिंदू" ने बताया कि इंडिगो के साथ प्रमुख मुद्दों में से एक पायलटों को ईंधन बचाने के निर्देश देना था. इसे तकनीकी भाषा में "फ्लैप 3 लैंडिंग" कहा जाता है - जिसका अर्थ है विमान को उतारते समय विंग्स पर केवल तीन चार फ्लैप का उपयोग करना.

जाहिर तौर पर, यह प्रक्रिया उन हवाईअड्डों में मुश्किल है जो दिल्ली या मुंबई जैसे ऊंचे मैदान पर स्थित हैं. मामले के बारे में पूछे जाने पर, एल्बर्स ने कहा कि अंतिम निर्णय पायलटों का होता है. "बेशक, हमारे पास आंतरिक प्रक्रियाएं हैं, जो उद्योग मानकों से मेल खाती हैं, जो परिचालन प्रक्रियाओं के विभिन्न बदलावों की अनुमति देती हैं," उन्होंने कहा, "उन परिचालन प्रक्रियाओं में, हमने सभी संभावित तत्वों को ध्यान में रखा है. लेकिन दिन के अंत में, यह फिर से पायलट ही है जो निर्णय ले रहा है कि लैंडिंग के लिए सटीक कॉन्फ़िगरेशन क्या है."

यह पूछे जाने पर कि क्या वह डीजीसीए के फैसले से सहमत हैं, तो एल्बर्स ने कहा कि कंपनी नियामक संस्था की प्रतिक्रिया की समीक्षा कर रही है. उन्होंने कहा, "और उसके आधार पर, हम प्रक्रिया के अनुसार डीजीसीए के साथ जुड़ेंगे."

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