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This Article is From May 04, 2016

अगस्ता घोटाले की बदौलत हमारी कलवेरी पनडुब्बी पर कोई हथियार ही नहीं होगा...

अगस्ता घोटाले की बदौलत हमारी कलवेरी पनडुब्बी पर कोई हथियार ही नहीं होगा...
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की नई भारत में ही बनीं पनडुब्बियां, जिनका रविवार को ही समुद्री परीक्षण किया गया, दरअसल ऐसी बंदूकों जैसी हालत में हैं, जिनमें गोलियां नहीं हों... ऐसा इसलिए, क्योंकि स्कॉरपीन क्लास पनडुब्बियों के मुख्य हथियार - ब्लैक शार्क टॉरपीडो - का डिज़ाइन भी फिनमैकानिका की ही सब्सिडियरी कंपनी ने बनाया है, और उसका निर्माण भी वही करती है, जबकि भारत में हेलीकॉप्टर बेचने के लिए रिश्वत देने के बाद उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।

एक फ्रांसीसी कंपनी से तीन अरब डॉलर के सौदे के तहत मुंबई में तैयार की गई छह डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में से एक कलवेरी को रविवार को मझगांव डॉक से परीक्षण के लिए बाहर समुद्र में निकाला गया, ताकि कुछ ही महीने बाद उसे सेना में शामिल किया जा सके।

लेकिन अपने टॉरपीडो के बिना कलवेरी पर दुश्मन पनडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए कोई हथियार नहीं होंगे। हथियार के नाम पर कलवेरी पर सिर्फ फ्रांस में बनी एक्सोसेट मिसाइलें होंगी, जो दुश्मन जहाजों को निशाना बना सकती है, पनडुब्बियों को नहीं।

सभी छह स्कॉरपीन क्लास पनडुब्बियों को 2020 से पहले भारतीय नौसेना के हवाले किया जाना है, और उसे आधुनिकीकरण की जोरदार जरूरत है, खासतौर से चीन द्वारा नौसेना को अपग्रेड किए जाने की वजह से। फिलहाल भारत के पास कुल 15 पुरानी पनडुब्बियां हैं, जो रूस और जर्मनी की बनी हुई हैं।

100 ब्लैक शार्क टॉरपीडो के लिए 1,500 करोड़ रुपये का सौदा फिनमैकानिका की सब्सिडियरी कंपनी व्हाइटहेड सिस्टेनी सुबाकी (WASS) के साथ वर्ष 2013 में साइन होने ही वाला था। उस वक्त उसे निलंबित कर दिया गया था, और कुछ ही महीने बाद सरकार ने फिनमैकानिका की एक और सब्सिडियरी अगस्तावेस्टलैंड के साथ हेलीकॉप्टर सौदा रद्द कर दिया, और फिर फिनमैकानिका कॉरपोरेट फैमिली को ही भारत सरकार से किसी भी तरह का सौदा करने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
 

भारतीय नौसेना के वरिष्ठ सूत्रों ने NDTV को बताया कि नए ठेके के लिए सही टॉरपीडो की पहचान करने, छांटने और फिर परीक्षणों में कम से कम पांच साल का समय लग सकता है।

ब्लैक शार्क टॉरपीडो का चयन कई अलग-अलग तरह की टॉरपीडो में से टेक्निकल ट्रायल के दौरान प्रदर्शन, कीमत और अफसरों की राय के आधार पर किया गया था, जिन्होंने कहा था कि मुंबई में तैयार की जा रही पनडुब्बियों के लिए ब्लैक शार्क टॉरपीडो ही सर्वश्रेष्ठ रहेगी।

50 नॉट की शीर्ष गति से चल सकने वाली ब्लैक शार्क टॉरपीडो को दुश्मन जहाजों और पनडुब्बियों को रोकने और नष्ट कर देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आधुनिकतम फाइबर-ऑप्टिक तारों - जो चलाए जाने के बाद टॉरपीडो और पनडुब्बी के बीच संपर्क बनाए रखते हैं - की वजह से ब्लैक शार्क टॉरपीडो पुराने वक्त की टॉरपीडो के मुकाबले 200 फीसदी बेहतर प्रदर्शन करती है।

हालांकि अब कलवेरी पहली बार गोता लगाएगी, और अपने सोनार सिस्टम को अधिकतम रेंज तक टेस्ट करेगी, लेकिन उस पर तैनात क्रू को मालूम हो, कि कहीं अगर संघर्ष की कोई नौबत आई, तो वे सिर्फ दुश्मन पनडुब्बी की आवाज़ें ही सुन पाएंगे, क्योंकि उनके पास हमला करने के लिए कोई टॉरपीडो होगी ही नहीं...

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