T-18 ट्रेन की पहली झलक
नई दिल्ली:
भारत में रेल क्रांति का आग़ाज़ करने वाली ट्रेन टी-18 जल्द ही पटरियों पर नज़र आएगी. यह ट्रेन 160 किलोमीटर की रफ्तार से पटरी पर दौड़ सकती है. यह ट्रेन मौजूदा शताब्दी एक्प्रेस की जगह लेगी और मुसाफिरों को ट्रेन यात्रा का एक नया अनुभव देगी. भारतीय रेलवे की 30 साल पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस का स्थान लेने वाली ‘ट्रेन 18' आगामी 29 अक्टूबर को पटरियों पर परीक्षण के लिए उतरेगी. यह देश की पहली ‘इंजन-रहित' ट्रेन होगी. यह ट्रेन ‘सेल्फ प्रपल्शन मॉड्यूल' पर 160 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की रफ्तार तक चल सकती है. इसकी तकनीकी विशिष्टताओं के चलते इसकी गति सामान्य ट्रेन से अधिक होगी. ख़ास बात यह है कि इस ट्रेन में कोई इंजन नहीं लगा होगा बल्कि इसके कोच में पावर कार लगा होगा.
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दरअसल, 29 अक्टूबर से ये ट्रेन पटरी पर ट्रायल के लिए उतरेगी. बिना ईंजन वाली यह ट्रेन पूरी तरह से भारत में बनी है. बाक़ी ट्रेनों की तरह इसके न तो डब्बे बदले जाते हैं और न ही इसमें ईंजन लगा होता है. एक ट्रेन के सारे कंपोनेंट्स मिलकर यह एक सेट की तरह चलता है। इसलिए इसे ट्रेन सेट के नाम से जाना जाता है.
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चेन्नई के इंटिग्रल कोच फैक्ट्री ने इसे तैयार किया है और साल 2018 में बनने के कारण इसे टी-18 नाम दिया गया है. इस ट्रेन की पूरी बॉडी ख़ास एल्यूमिनियम की बनी है यानि यह ट्रेन वज़न में हल्की भी होगी. इसे तुरंत ही ब्रेक लगाकर रोकना आसान है और इसके तुरंत ही तेज़ गति भी दी जा सकती है.
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आईसीएफ के महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने बताया कि इसकी प्रतिकृति बनाने में 100 करोड़ रूपये की लागत आयी और बाद में इसके उत्पादन की लागत कम हो जायेगी. उन्होंने बताया कि इसका अनावरण 29 अक्टूबर को किया जायेगा. इसके बाद तीन या चार दिन फैक्ट्री के बाहर इसका परीक्षण किया जायेगा और बाद में इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) को को आगे के परीक्षण के लिए सौंप दिया जायेगा.
खासियतें-
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दरअसल, 29 अक्टूबर से ये ट्रेन पटरी पर ट्रायल के लिए उतरेगी. बिना ईंजन वाली यह ट्रेन पूरी तरह से भारत में बनी है. बाक़ी ट्रेनों की तरह इसके न तो डब्बे बदले जाते हैं और न ही इसमें ईंजन लगा होता है. एक ट्रेन के सारे कंपोनेंट्स मिलकर यह एक सेट की तरह चलता है। इसलिए इसे ट्रेन सेट के नाम से जाना जाता है.
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आईसीएफ के महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने बताया कि इसकी प्रतिकृति बनाने में 100 करोड़ रूपये की लागत आयी और बाद में इसके उत्पादन की लागत कम हो जायेगी. उन्होंने बताया कि इसका अनावरण 29 अक्टूबर को किया जायेगा. इसके बाद तीन या चार दिन फैक्ट्री के बाहर इसका परीक्षण किया जायेगा और बाद में इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) को को आगे के परीक्षण के लिए सौंप दिया जायेगा.
खासियतें-
- कुल 16 कोच वाली यह ट्रेन सामान्य शताब्दी ट्रेन के मुकाबले कम वक्त लेगी.
- इस ट्रेन को शहर में स्थित इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा 18 महीने में विकसित किया गया है.
- इस ट्रेन के मध्य में दो एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट होंगे. प्रत्येक में 52 सीट होंगी.
- वहीं सामान्य कोच में 78 सीटें होंगी.
- शताब्दी की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटे है जबकि यह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक चल सकेगी.
- अगर ‘ट्रेन-18' की गति के मुताबिक पटरी बना ली जाये तो यह शताब्दी एक्सप्रेस के मुकाबले 15 प्रतिशत कम समय लेगी.
- ‘ट्रेन-18' में जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली के अलावा अलहदा तरह की लाइट, आटोमेटिक दरवाजे और सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे.
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