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This Article is From Mar 07, 2017

30 साल बाद भारतीय सेना से रिटायर हो गया INS विराट, नौसेना प्रमुख ने दी अंतिम विदाई

30 साल बाद भारतीय सेना से रिटायर हो गया INS विराट, नौसेना प्रमुख ने दी अंतिम विदाई
मुंबई: तीस साल तक भारतीय समुद्री सीमा का प्रहरी रहा विराट 6 मार्च 2017 को सूर्य ढलने के साथ ही सेवा मुक्त हो गया. खास तौर पर आयोजित पारंपरिक समारोह में विमानवाहक युद्धपोत आई एन एस विराट से कमीशन पेन्डेन्ट को उतार कर उसे अंतिम विदाई दी गई. इस मौके को यादगार बनाने के लिए  विराट युद्धपोत पर तैनात रह चुके 22 पुराने कमांडिंग अफसरों के साथ भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और रॉयल नेवी के फर्स्ट सी लार्ड एडमिरल फिलिप जोंस भी मौजूद थे.
 
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इस अवसर पर बोलते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने विराट की सेवा को बेमिसाल बताया. 27 साल रॉयल नेवी, और 30 साल तक भारतीय नौसेना को सेवा देने वाले युद्धपोत के तौर पर विराट का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है. जलमेव यस्य, बलमेव तस्य के नारे के साथ आई एन एस विराट ने करीब 15 साल तक भारत के दोनों समुद्री तट- पूर्व और पश्चिम में अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक अकेले ही दुश्मनों की नापाक हरकतों पर नज़र रखी और किसी को भी पास नहीं फटकने दिया था. 24 हजार टन वजनी विराट, 743 फुट लंबा और 160 फुट चौड़ा है, रफ्तार करीब 52 किलोमीटर प्रतिघंटा है. नौसेना में इसे 12 मई 1987 को शामिल किया गया था. तब से आजतक इस युद्धपोत से कई यादें जुडी हैं.

इस पोत में सी हैरियर लड़ाकू विमान  तैनात थे जिन्हें व्हाइट टाइगर भी कहा जाता है, साथ में एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट सीकिंग एमके 42 बी और सीकिंग एमके 42 सी, जिन्हें हारपून्स भी कहा जाता है. इस पोत में करीब 1500 नौसेनिक रहते थे और एक बार जब समंदर से निकलता था तो साथ में तीन महीने का राशन लेकर निकलता था.  विराट के डेक से लड़ाकू विमानों ने  22,622 घंटों की उड़ान भरी है. इसने करीब 2,252 दिन और करीब 10,94,215 किलोमीटर का सफर समुद्र में तय किया है. यानी इतना वक्त जिससे तकरीबन 27 दफे आप दुनिया का चक्कर लगा सकते हैं.
 
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विदाई के बाद रक्षामंत्रालय इसे संग्रहालय बनाना चाहता है, लेकिन उसके खत का आंध्रप्रदेश को छोड़कर किसी ने अबतक जवाब नहीं दिया है.इसके पहले युद्धपोत आई एन एस विक्रांत का हश्र हम देख चुके हैं. जनता की मांग और लाख कोशिशों के बाद भी उसे संग्रहालय नहीं बनाया जा सका और कबाड़ में बेच दिया गया . उम्मीद करते हैं कि आई ए एस विराट का हश्र विक्रांत जैसा न हो.

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