प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
भारत, म्यामांर और थाईलैंड अपनी सीमाओं से वाहनों की आवाजाही की सुविधा के लिये एक मोटर वाहन करार पर बातचीत कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि म्यामांर ने सूचित किया है कि वह इस करार के लिये तब आगे बढ़ेगा जब वह संबंधित देशों के साथ हुए समान करारों के कार्यान्वयन की व्यापक समीक्षा कर लेगा.
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मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत सरकार की ओर से भारत, म्यामार और थाईलैंड के बीच त्रिपक्षीय राजमार्ग संबंधी दो परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसमें म्यामांर में तामू, कियगोन, कलेवा खंड पर 69 पुलों का निर्माण और कलेवा यार्गी खंड पर 120.74 किलोमीटर सड़क का उन्नयन शामिल है. इन परियोजनाओं के संबंध में अक्तूबर..दिसंबर 2017 में खुली निविदा का कार्यादेश दे दिया गया है.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय संपर्क राजमार्ग का विस्तार वियतनाम तक करने को लेकर सरकार आसियान देशों के साथ चर्चा की जा रही है.इस संबंध में भारत सरकार और संबंधित देशों के बीच कुछ चरणों की बातचीत शुरू हो गई. मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्वोत्तर क्षेत्र से लगे सीमावर्ती इलाकों में विश्वयुद्ध के समय के पुलों को हटाकर नये ढांचों का निर्माण करने का कार्य 2018 के प्रारंभ में शुरू होना है. इसका निर्माण कार्य 36 महीने में पूरा होने का अनुमान है.
उल्लेखनीय है कि भारत और इसके दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसी देश म्यांमार और थाईलैंड के बीच वर्ष 2002 में सड़क मार्ग से निर्बाध सड़क संपर्क (कनेक्टिविटी) की योजना बनाई गई थी, लेकिन 15 वर्ष गुजर जाने के बाद भी यह त्रिकोणीय राजमार्ग परियोजना पूरी नहीं हुई. पिछले वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15वें भारत- आसियान सम्मेलन के लिए मनीला गए थे और इसके बाद से इसमें गति आने की उम्मीद जतायी जा रही है.
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यह राजमार्ग पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ेगा, जिससे भारत इन एशियाई देशों के साथ सड़क मार्ग के जरिए सीधे सामान, लोगों और संस्कृति का आदान-प्रदान कर पाएगा. सितंबर 2012 में तीनों देशों की ओर से संयुक्त कार्य बल की बैठक के अनुसार, भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाला 1700 किलोमीटर लंबा यह त्रिकोणीय राजमार्ग वर्ष 2016 तक पूरा होने की उम्मीद थी। बाद में, इसे पूरा करने का लक्ष्य लगातार आगे किया जाता रहा और अब इसे पूरा करने का लक्ष्य बढ़ाकर 2020 कर दिया गया है.
इनपुट- भाषा
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मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत सरकार की ओर से भारत, म्यामार और थाईलैंड के बीच त्रिपक्षीय राजमार्ग संबंधी दो परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसमें म्यामांर में तामू, कियगोन, कलेवा खंड पर 69 पुलों का निर्माण और कलेवा यार्गी खंड पर 120.74 किलोमीटर सड़क का उन्नयन शामिल है. इन परियोजनाओं के संबंध में अक्तूबर..दिसंबर 2017 में खुली निविदा का कार्यादेश दे दिया गया है.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय संपर्क राजमार्ग का विस्तार वियतनाम तक करने को लेकर सरकार आसियान देशों के साथ चर्चा की जा रही है.इस संबंध में भारत सरकार और संबंधित देशों के बीच कुछ चरणों की बातचीत शुरू हो गई. मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्वोत्तर क्षेत्र से लगे सीमावर्ती इलाकों में विश्वयुद्ध के समय के पुलों को हटाकर नये ढांचों का निर्माण करने का कार्य 2018 के प्रारंभ में शुरू होना है. इसका निर्माण कार्य 36 महीने में पूरा होने का अनुमान है.
उल्लेखनीय है कि भारत और इसके दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसी देश म्यांमार और थाईलैंड के बीच वर्ष 2002 में सड़क मार्ग से निर्बाध सड़क संपर्क (कनेक्टिविटी) की योजना बनाई गई थी, लेकिन 15 वर्ष गुजर जाने के बाद भी यह त्रिकोणीय राजमार्ग परियोजना पूरी नहीं हुई. पिछले वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15वें भारत- आसियान सम्मेलन के लिए मनीला गए थे और इसके बाद से इसमें गति आने की उम्मीद जतायी जा रही है.
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यह राजमार्ग पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ेगा, जिससे भारत इन एशियाई देशों के साथ सड़क मार्ग के जरिए सीधे सामान, लोगों और संस्कृति का आदान-प्रदान कर पाएगा. सितंबर 2012 में तीनों देशों की ओर से संयुक्त कार्य बल की बैठक के अनुसार, भारत, म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाला 1700 किलोमीटर लंबा यह त्रिकोणीय राजमार्ग वर्ष 2016 तक पूरा होने की उम्मीद थी। बाद में, इसे पूरा करने का लक्ष्य लगातार आगे किया जाता रहा और अब इसे पूरा करने का लक्ष्य बढ़ाकर 2020 कर दिया गया है.
इनपुट- भाषा
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