
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज रेक्टैंगुलर होता है, जिसकी लंबाई और ऊंचाई का अनुपात तीन बाई दो होता है
- ध्वज में केसरिया, सफेद और हरे रंग के तीन पैनल होते हैं, बीच में गहरे नीले अशोक चक्र के साथ
- ध्वज हाथ से बुना या मशीन से बना हो सकता है, जिसमें पॉलिएस्टर और खादी दोनों शामिल हैं
भारत को उसका तिरंगा (ध्वज) तो 1947 में अंग्रेजों के शासन खत्म होने से कुछ महीने पहले मिल गया था लेकिन इसके नियम (फ्लैग कोड) में 26 जनवरी 2002 को संशोधन किया गया. इस नियम को भारतीय ध्वज संहिता के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इसे राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 जैसे कानूनों की मदद से संरक्षित किया गया है. तो चलिए आपको फ्लैग कोड यानी ध्वज के नियमों के बारे में डिटेल में बताते हैं.
संरचना
- आकार और अनुपात: राष्ट्रीय ध्वज रेक्टैंगुलर होना चाहिए, जिसकी लंबाई-से-ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 हो.
- कलर और डिजाइन: इसमें तीन पैनल होते हैं—सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद (गहरे नीले रंग का 24 तीलियों वाला अशोक चक्र) और सबसे नीचे हरा. चक्र ध्वज के दोनों ओर पूरी तरह से दिखाई देना चाहिए.
- सामान: ध्वज हाथ से बुने, या मशीन से बने सूती, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम, या खादी से बनाया जा सकता है. 2021 के संशोधन के बाद से, पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडों को भी अनुमति दी गई थी.
ध्वज से जुड़े नियम -
क्या करें-
दिन और जगह: कोई भी नागरिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी दिन या अवसर पर फहरा सकते हैं. हालांकि, इस दौरान वो ध्यान रखें कि ध्वज की गरिमा बनी रहे.
समय: यदि ध्वज खुले में या अपने घर में लगाया जाता है, तो इसे दिन और रात फहराया जा सकता है, और रात में अच्छी रोशनी होनी चाहिए. बता दें कि इसकी अनुमति 2022 के संशोधन के बाद दी गई है.
स्थिति: ध्वज को हमेशा सम्मानपूर्वक, स्पष्ट रूप से रखा जाना चाहिए. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि इसे किसी अन्य ध्वज के नीचे या फिर किसी अन्य ध्वज के साथ न रखें. अगर आप इसे किसी ग्रुप में प्रदर्शित करते हैं तो इसे प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए या फिर इसे ग्रुप के बीच में प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
सम्मानपूर्वक संभालें: ध्वज को सम्मानपूर्वक संभालना चाहिए, इसे कभी भी जमीन, फर्श, पानी को छूने या घसीटने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
शैक्षणिक उपयोग: ध्वज को सम्मान बढ़ाने के लिए स्कूलों और संस्थानों में फहराया जा सकता है.
क्या न करें-
गंदे झंडे: कभी भी कटे-फटे, गंदे या फिर बिखरे हुए झंडे को प्रदर्शित न करें.
उल्टा ध्वज: ध्वज को कभी भी उल्टा नहीं फहराया जाना चाहिए. केसरिया पट्टी हमेशा ही ऊपर की तरफ होनी चाहिए.
कपड़ों के ऊपर: झंटे का इस्तेमाल कभी भी पर्दे या फिर कपड़े के ऊपर नहीं किया जाना चाहिए. इसे कभी भी सजावट के तौर पर भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
झंडे पर कुछ न लिखें: झंडे पर न ही कुछ लिखना चाहिए, न ही छपाई करनी चाहिए.
डिस्पोजेबल के लिए नहीं करना चाहिए इस्तेमाल: इसका इस्तेमाल मेज के ऊपर या फिर रूमाल के रूप में या फिर किसी वस्तु को लपेटने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
ऊपर कोई अन्य ध्वज नहीं: राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर, उससे ऊंचा या उसके साथ कोई अन्य ध्वज या नहीं लगाया जाना चाहिए.
जमीन को छूना: ध्यान रखें कि ध्वज कभी भी जमीन, फर्श या पानी में नहीं छुए.
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