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This Article is From Jan 15, 2022

Army Day 2022: "यथास्थिति बदलने की हर कोशिश से मुकाबले को तैयार": सेना प्रमुख जनरल नरवणे

Indian Army Day 2022: जनरल नरवणे ने कहा कि हम अपनी सीमाओं पर यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए दृढ़ता से खड़े हैं.

Army Day 2022: "यथास्थिति बदलने की हर कोशिश से मुकाबले को तैयार": सेना प्रमुख जनरल नरवणे
Army Day 2022: जनरल नरवणे ने कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए सुरक्षा मानकों को मजबूत किया गया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे (Army Chief General MM Naravane) ने शुक्रवार को सेना दिवस ( Army Day 2022) की पूर्व संध्या पर कहा कि भारतीय थल सेना देश की सीमाओं पर यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने की किसी भी कोशिश का मुकाबला करने के लिए दृढ़ता से खड़ी है और भारत की शांति की कामना ‘‘हमारी अंतर्निहित शक्ति'' से उपजी है. सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि धारणाओं और विवादों में अंतरालों को समान और परस्पर सुरक्षा के सिद्धांत के आधार पर स्थापित नियमों के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ तरीके से सुलझाया जाता है.

भारत और चीन की सेनाओं के बीच 5 मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध की स्थिति है जो पैंगोंग झील इलाके में हुए हिंसक संघर्ष के बाद शुरू हुआ था. दोनों देशों ने गतिरोध को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की 14 दौर की वार्ता की है. 

जनरल नरवणे ने अपने भाषण में कहा, ‘‘हम अपनी सीमाओं पर यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए दृढ़ता से खड़े हैं. इस तरह के प्रयासों पर हमारा जवाब त्वरित, समन्वित और निर्णायक होता है.''

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उन्होंने कहा कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए देश की सीमाओं पर और अंदर दोनों जगह संस्थागत प्रणालियों और सुरक्षा मानकों को मजबूत किया गया है. उन्होंने कहा कि ये प्रणालियां और सुरक्षा मानक हिंसा के स्तर को कम करने में प्रभावी साबित हुए हैं. 

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारी कार्रवाइयों ने आतंकवाद के स्रोत पर हमला करने की हमारी क्षमता तथा दृढ़ इच्छाशक्ति प्रदर्शित की है.'' जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय थल सेना ने बीते वर्ष में अपनी जिम्मेदारियों को दृढ़ता से निभाया है और देश की सुरक्षा एवं क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण के लिए अडिग रही. उन्होंने कहा कि भारत की सक्रिय सीमाओं की पहरेदारी दृढ़संकल्प के साथ की जाती है.

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जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘हमारे बहादुर अधिकारियों, जेसीओ (जूनियर कमीशन्ड अधिकारियों) और जवानों ने साहस और दृढ़ता के साथ प्रतिकूल स्थितियों और दुश्मनों का सामना किया है और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं के अनुरूप अपनी जान तक न्योछावर की है.'' उन्होंने कहा कि भारतीय सेना मौजूदा और भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए उच्च स्तर की अभियान संबंधी तत्परता रखती है.

भारत और चीन की सेनाओं ने 5 मई, 2020 को हुए हिंसक संघर्ष के बाद हजारों सैनिकों तथा भारी हथियारों को इलाके में भेजकर क्रमिक तरीके से अपनी तैनाती बढ़ाई हैं. दोनों पक्षों ने श्रृंखलाबद्ध सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी तथा दक्षिणी किनारों और गोगरा इलाके से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा किया. संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर प्रत्येक पक्ष के करीब 50 से 60 हजार सैनिक हैं. 

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