अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग बढ़ाते हुए भारत और अमेरिका इस साल के अंत में एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन परियोजना के तहत नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह का प्रक्षेपण कर सकते हैं. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह शुक्रवार को यह बात कही. उन्होंने नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक सेथुरमन पंचनाथन के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की. निसार प्राकृतिक खतरों, समुद्र के स्तर में वृद्धि और भूजल के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिकी तंत्र, गतिशील सतहों और बर्फ के द्रव्यमान को मापेगा और अन्य अनुप्रयोगों में मदद करेगा.
यह आरोही और अवरोही दर्रों पर 12 दिन की नियमितता के साथ विश्व स्तर पर पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढकी सतहों का भी निरीक्षण करेगा. मूल रूप से तीन साल के मिशन के लिए यह औसतन हर छह दिन में पृथ्वी का नमूना लेगा.
मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से कहा, 'नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह के 2023 में प्रक्षेपित होने की उम्मीद है.'
सिंह ने अंतरिक्ष क्षेत्र और मुख्य रूप से अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया.
मंत्री ने कृत्रिम मेधा (एआई), साइबर सुरक्षा, क्वांटम, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, उन्नत वायरलेस, जैव प्रौद्योगिकी, भूविज्ञान, खगोल भौतिकी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में गहन सहयोग का प्रस्ताव रखा.
पंचनाथन ने कहा कि अमेरिका महत्वपूर्ण खनिजों, स्मार्ट कृषि, जैव-अर्थव्यवस्था और 6जी प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसरों के लिए तत्पर है.
बैठक में केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस चंद्रशेखर, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के संयुक्त सचिव सत्यजीत मोहंती और सभी छह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
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