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This Article is From Aug 24, 2023

लद्दाख के लैंडिंग ग्राउंड को फाइटर एयरबेस बना रही IAF, चीन को हर 'चालबाजी' का मिलेगा जवाब

पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी, फुकचे और न्योमा जैसे तीन एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं. यहां से चीन की सीमा बहुत करीब है. न्योमा से 35, फुकचे से 14 और डीबीओ से मात्र 9 किलोमीटर है.

लद्दाख के लैंडिंग ग्राउंड को फाइटर एयरबेस बना रही IAF, चीन को हर 'चालबाजी' का मिलेगा जवाब
नई दिल्ली:

लद्दाख के न्योमा (Ladakh's Nyoma) एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अब अपग्रेड किया जा रहा है. यानी अब यह एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) से एयरबेस में तब्दील किया जा रहा है. यहां से अब लड़ाकू विमान भी उड़ान भर सकेंगे. एयरबेस बनने के बाद राफेल, सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों की गर्जना चीन से लगी सीमा पर सुनाई देगी. सब कुछ ठीक रहा, तो अगले तीन सालों में लद्दाख का यह बेस पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा. यहां से चीन की सीमा महज 35 किलोमीटर दूर हैं. 

फिलहाल लद्दाख में दो एयरबेस हैं- लेह और परतापुर.  यहां से लड़ाकू विमान ऑपरेट कर सकते हैं. लेकिन ये एयरबेस चीन की सीमा से 100 किलोमीटर से ज़्यादा दूर है. जबकि पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी, फुकचे और न्योमा जैसे तीन एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं. यहां से चीन की सीमा बहुत करीब है. न्योमा से 35, फुकचे से 14 और डीबीओ से मात्र 9 किलोमीटर है. फिलहाल इन लैंडिंग ग्राउंड पर ट्रांसपोर्ट एयरकाफ्ट ऑपरेशनल है. सी 130 से लेकर सी 17 एयरकाफ्ट और चिनूक व अपाचे हेलीकॉप्टर जरूरत पड़ने पर हर ऑपरेशन के लिए तैयार रहते हैं.

 
चीन से लगी सीमा पर होने से ये लैंडिंग ग्राउंड रणनीतिक तौर पर काफी अहम है. ध्यान रहे जब अप्रैल 2020 में चीन के साथ सीमा पर झड़प हुई थी, तो उसके बाद सीमा पर सेना की तैनाती को लेकर वायुसेना ने काफी अहम भूमिका निभाई थी. सेना की जरूरत के मुताबिक साजो-समान और जवानों को बॉर्डर पर भेजा गया था. ट्रांसपोर्ट एयरकाफ्ट और चिनूक हेलीकॉप्टर की वजह से यह संभव हुआ. इसी दवाब का नतीजा रहा कि चीन की सेना का मूवमेंट रुक सा गया. कई जगहों पर उसे पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा. 

अब भारत न केवल सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है, बल्कि उसकी कोशिश है कि अब चीन किसी भी तरह सीमा पर यथास्थिति में बदलाव न कर सके. पूर्वी लद्दाख में करीब तीन साल से चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिये 19वें दौर की बातचीत हो चुकी है. भारत का कहना है कि जब तक चीन अपने अप्रैल 2020 वाली पुरानी जगह पर नहीं जाता है, तब सीमा पर शांति और विश्वास का माहौल कायम नहीं हो सकता है.

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