- केंद्र ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण घटक योजना के तहत 5500 करोड़ रुपये से अधिक की 7 परियोजनाओं को मंजूरी दी
- ये परियोजनाएं तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और एमपी में स्थापित की जाएंगी और 5100 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार देगी
- इन परियोजनाओं से 36559 करोड़ रुपये तक के इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों का उत्पादन देश में ही संभव होगा
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण घटक योजना के तहत 5500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 7 नयी परियोजनाओं के पहले बैच को मंज़ूरी दे दी है. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के मुताबिक, इन सात परियोजनाओं से 36,559 करोड़ रुपये तक का उत्पादन देश में संभव हो सकेगा और 5,100 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां (Direct Jobs) पैदा होंगी. भारत सरकार ने तय किया है कि ये सात इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स तमिलनाडु (5), आंध्र प्रदेश (1) और मध्य प्रदेश (1) में सेटअप की जाएंगी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा ऐलान
सोमवार को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि इस योजना को घरेलू और वैश्विक दोनों कंपनियों से शानदार प्रतिक्रिया मिली है. 249 आवेदन प्राप्त हुए हैं, ये 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश, 10.34 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन और सृजित होने वाली 1.42 लाख नौकरियों को दर्शाते हैं. यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता है. आज 5,532 करोड़ रुपये की सात परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है.
5,100 से ज़्यादा नौकरियों के अवसर
इन परियोजनाओं से 36,559 करोड़ रुपये मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से ज़्यादा प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी. इसके फैसले के बाद अब मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, एचडीआई (HDI PCBs), कैमरा मॉड्यूल, कॉपर क्लैड लैमिनेट (Copper Clad Laminates) और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स (Polypropylene Films) भारत में ही बनेंगी. कैमरा मॉड्यूल (Camera modules) कॉम्पैक्ट इमेजिंग यूनिट होते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में फ़ोटो और वीडियो को कैप्चर करते हैं.
भारत को होगा क्या फायदा
भारत में इसका उत्पादन स्मार्टफ़ोन, ड्रोन, लैपटॉप, टैबलेट, चिकित्सा उपकरण, रोबोट और ऑटोमोटिव सिस्टम में इसके इस्तेमाल को आसान बनाएगा. एचडीआई (HDI ) और मल्टी-लेयर पीसीबी मुख्य सर्किट बोर्ड हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को जोड़ते और नियंत्रित करते हैं. इनका इस्तेमाल स्मार्टफोन, लैपटॉप, ऑटोमोटिव और इंडस्ट्रियल सिस्टम्स में किया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के मुताबिक, ये फैसला भारत में तैयार उत्पाद बनाने से लेकर उनके निर्माण में प्रयुक्त मॉड्यूल, घटकों, सामग्रियों और मशीनरी के विनिर्माण तक की यात्रा में एक बड़ा कदम है.
अश्विनी वैष्णव ने क्या कुछ कहा
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पीसीबी की हमारी 20% और कैमरा मॉड्यूल सब-असेंबली की 15% घरेलू मांग इन संयंत्रों से उत्पादन के माध्यम से पूरी की जाएगी. कॉपर क्लैड लैमिनेट की मांग अब पूरी तरह से घरेलू स्तर पर ही पूरी की जाएगी, इन संयंत्रों के माध्यम से 60% अतिरिक्त उत्पादन का निर्यात किया जाएगा. Electronics Manufacturing Component Scheme के ज़रिये कॉम्पोनेन्ट मैटेरियल्स मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत ने एक नयी शुरुआत की है.
इस फैसले से भारत में पहली बार कॉपर क्लैड लैमिनेट विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया जायेगा. CCL मल्टी-लेयर पीसीबी के निर्माण के लिए एक बेस कॉम्पोनेन्ट के तौर पर काम करता है। ये पीसीबी सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं, अभी इन्हें भारत में आयात किया जाता है. पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म कैपेसिटर की मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाली एक प्रमुख सामग्री है. अब इनका निर्माण भारत में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स , ऑटोमोटिव, दूरसंचार एवं कंप्यूटिंग उपकरणों को तैयार करने के लिए किया जायेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के मुताबिक, इन नयी महत्वकांक्षी योजनाओं के कार्यान्वयन से आयात पर निर्भरता कम होगी और घरेलू बाजार में उत्पादों की कीमतें भी कम होंगी.
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