भारत ने अंतरराष्ट्रीय शोध संस्था सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की उस रिपोर्ट को तथ्यहीन और भ्रामक करार दिया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि भारत उन पांच देशों में शामिल है जिन्होंने रूस से 60 डॉलर से कम पर कच्चा तेल आयात किया और उसे रिफाइन करके यूरोपियन यूनियन और कुछ जी-7 देशों को निर्यात कर दिया.
पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा- ''सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की रिपोर्ट विश्व में चौथे सबसे बड़े तेल शोधन देश भारत की छवि को धूमिल करने का एक भ्रामक प्रयास है. यह वैश्विक स्तर पर डिमांड-सप्लाई डायनामिक्स और एक प्रमुख रिफाइंड प्रोडक्ट के निर्यातक के तौर पर भारत के लंबे इतिहास की समझ की कमी को दर्शाता है.''
Report by @CREACleanAir is misleading and is a deceptive effort to tarnish India's image, the 4th largest oil refining country globally. It shows a lack of understanding of global supply demand dynamics and India's long history as a major refined products exporter (1/5)
— Ministry of Petroleum and Natural Gas (@PetroleumMin) May 3, 2023
भारत अंतरराष्ट्रीय कानून के टर्म्स के तहत वस्तुओं का आयात या निर्यात करने के लिए स्वतंत्र है और उसके वैध कारोबार को 'laundromat' (धुलाई की मशीन) कहने का तात्पर्य एक "अवैध" गतिविधि से है, जिस पर भारत कड़ी आपत्ति जताता है.
रूस या किसी अन्य जगह से 60 डॉलर से कम रेट पर कच्चे तेल का आयात किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के तहत नहीं आता है. दुनिया में किसी रिफाइनर से डीज़ल खरीदने पर किसी 'गठबंधन देश' ने सेल्फ-एम्बारगो नहीं लगाया है. 'Whitewashed oil' जैसे शब्द का उपयोग करना कपटपूर्ण और शरारतपूर्ण है.
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