
बराक ओबामा और पीएम मोदी व्हाइट हाउस में डिनर के दौरान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की उस टिप्पणी पर सोमवार को तीखी प्रतिक्रिया जताई, जिसमें उन्होंने भारत से अपने परमाणु हथियारों में कमी लाने के लिए कहा था। भारत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि देश की रक्षा जरूरतों की 'समुचित समझ का अभाव है।' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि पारंपरिक रूप से भारत ने कभी किसी पड़ोसी के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई शुरू नहीं की है। भारत की परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति है।
उन्होंने कहा, 'हां, हमने उन टिप्पणियों को देखा है। ऐसा लगता है कि भारत की रक्षा जरूरतों की समुचित समझ का अभाव है। भारत ने किसी भी पड़ोसी के खिलाफ कभी सैन्य कार्रवाई शुरू नहीं की है। इसके साथ ही हमारी परमाणु हथियार पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति है।' विकास स्वरूप ने कहा, 'चूंकि संदर्भ परमाणु सुरक्षा सम्मेलन था, राष्ट्रपति ओबामा की स्वयं की टिप्पणी वैश्विक चिंता की ओर ध्यान केंद्रित करने वाली है कि कुछ देशों में परमाणु हथियार बढ़ रहे हैं तथा कुछ छोटे परमाणु हथियारों की चोरी होने के अधिक खतरे हो सकते हैं।'
प्रवक्ता ने यह बात गत सप्ताह परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान के सैन्य सिद्धांतों पर एक संवाददाता सम्मेलन में ओबामा द्वारा की गई टिप्प्णी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गए थे जिसमें विश्व के 50 से अधिक देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया था।
वाशिंगटन में दो दिवसीय सम्मेलन के अंत में ओबामा ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत और पाकिस्तान को अपने परमाणु हथियारों को कम करने पर प्रगति करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सैन्य सिद्धांत विकसित करने के दौरान वे 'लगातार गलत दिशा में नहीं बढ़ें।' उन्होंने कहा था, 'हमारे समक्ष यहां जो चुनौतियां होंगी, उनमें यह भी होगा कि हमें हमारे परमाणु हथियारों में तब तक भारी कमी देखने में मुश्किल होगी जब तक सबसे अधिक परमाणु हथियार रखने वाले देश अमेरिका और रूस नेतृत्व करने को तैयार नहीं होते।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
उन्होंने कहा, 'हां, हमने उन टिप्पणियों को देखा है। ऐसा लगता है कि भारत की रक्षा जरूरतों की समुचित समझ का अभाव है। भारत ने किसी भी पड़ोसी के खिलाफ कभी सैन्य कार्रवाई शुरू नहीं की है। इसके साथ ही हमारी परमाणु हथियार पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति है।' विकास स्वरूप ने कहा, 'चूंकि संदर्भ परमाणु सुरक्षा सम्मेलन था, राष्ट्रपति ओबामा की स्वयं की टिप्पणी वैश्विक चिंता की ओर ध्यान केंद्रित करने वाली है कि कुछ देशों में परमाणु हथियार बढ़ रहे हैं तथा कुछ छोटे परमाणु हथियारों की चोरी होने के अधिक खतरे हो सकते हैं।'
प्रवक्ता ने यह बात गत सप्ताह परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान के सैन्य सिद्धांतों पर एक संवाददाता सम्मेलन में ओबामा द्वारा की गई टिप्प्णी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गए थे जिसमें विश्व के 50 से अधिक देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया था।
वाशिंगटन में दो दिवसीय सम्मेलन के अंत में ओबामा ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत और पाकिस्तान को अपने परमाणु हथियारों को कम करने पर प्रगति करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सैन्य सिद्धांत विकसित करने के दौरान वे 'लगातार गलत दिशा में नहीं बढ़ें।' उन्होंने कहा था, 'हमारे समक्ष यहां जो चुनौतियां होंगी, उनमें यह भी होगा कि हमें हमारे परमाणु हथियारों में तब तक भारी कमी देखने में मुश्किल होगी जब तक सबसे अधिक परमाणु हथियार रखने वाले देश अमेरिका और रूस नेतृत्व करने को तैयार नहीं होते।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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