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This Article is From Nov 15, 2012

सबसे मुश्किल वक्त में भारत ने साथ छोड़ दिया : सू ची

सबसे मुश्किल वक्त में भारत ने साथ छोड़ दिया : सू ची
लंबे अंतराल के बाद भारत आईं म्यांमार की विपक्षी नेता आंग सान सू ची ने कहा है कि वह इस बात से दुखी हैं कि भारत ने उनके देश के सबसे मुश्किल वक्त में उसका साथ छोड़ दिया।
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नई दिल्ली: लंबे अंतराल के बाद भारत आईं म्यांमार की विपक्षी नेता आंग सान सू ची ने कहा है कि वह इस बात से दुखी हैं कि भारत ने उनके देश के सबसे मुश्किल वक्त में उसका साथ छोड़ दिया।

सू ची ने उम्मीद जताई कि लोकतंत्र को हासिल करने की राह में भारत, म्यामांर का हमकदम होगा। जवाहरलाल नेहरू स्मृति व्याख्यान देते हुए सू ची ने कहा, मैं यह सोचकर दुखी हो जाती हूं कि मैं भारत से दूर हो गई या हमारे सबसे मुश्किल वक्त में भारत हमसे दूर हो गया।

नोबेल शंति पुरस्कार से सम्मानित लोकतंत्र समर्थक नेता पिछली बार 1987 में भारत आई थीं। उनका कहना है कि म्यामांर ने अभी लोकतंत्र का लक्ष्य हासिल नहीं किया। हम कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद है कि इस अंतिम संघर्ष में भारत की जनता हमारे साथ होगी।

सू ची ने कहा कि उन्हें भारत और म्यामांर की दोस्ती पर विश्वास था, जो दोनो देशों के प्रेम और भाईचारे पर आधारित रही। उन्होंने कहा, सरकारें आती हैं और जाती हैं, यही लोकतंत्र है, लेकिन जनता बनी रहती है और जब तक हमारी जनता समझ और परस्पर सम्मान से बंधी रहेगी, हमारे दोनो देशों की दोस्ती भविष्य में लंबे समय तक कायम रहेगी।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ऐसे दो भारतीय नेता हैं, जिन्हें वह अपने बहुत करीब पाती हैं। उन्होंने याद किया कि उनमें और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री में बहुत सी समानताएं हैं।

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आंग सान सू ची, सू की, Aung San Suu Kyi, Myanmar
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