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This Article is From Jun 02, 2024

"भारत ने रचनात्मक भूमिका निभाई": विश्व स्वास्थ्य सभा की ओर से उठाए गए ऐतिहासिक कदम पर केंद्र

सदस्य देशों ने भविष्य की महामारियों से बचाव के लिए 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों में संशोधनों पर सहमति व्यक्त की है.

"भारत ने रचनात्मक भूमिका निभाई": विश्व स्वास्थ्य सभा की ओर से उठाए गए ऐतिहासिक कदम पर केंद्र
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने जिनेवा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
नई दिल्ली:

भारत ने भविष्य में महामारियों से बचाव के लिए 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) में इंटरनेशनल हैल्थ रेगुलेशंस (IHR 2005) को अपनाने में देशों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने रविवार को यह बात कही.  

वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंडे में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा ने कोविड-19 महामारी के बाद सदस्य देशों की ओर से पेश किए गए 300 प्रस्तावों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों (IHR 2005) में संशोधनों पर सहमति व्यक्त की.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि, "अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों (IHR) में तय संशोधनों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों (PHEIC) और महामारी आपात स्थितियों (PE) के लिए तैयार होने और उनका जवाब देने की देशों की क्षमता में सुधार करना है.

बयान में कहा गया है कि इनमें पीएचईआईसी और पीई के दौरान प्रासंगिक स्वास्थ्य उत्पादों तक समान पहुंच की सुविधा के प्रावधान शामिल हैं. इसके मुताबिक, आईएचआर (2005) के तहत आवश्यक मुख्य क्षमताओं के निर्माण, सुदृढ़ीकरण और रखरखाव में विकासशील देशों को समर्थन देने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के प्रावधान भी शामिल हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने आईएचआर में संशोधनों के पैकेज को अंतिम रूप देने के लिए 28 मई को जिनेवा में भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. उन्होंने "एक एकल मसौदा समूह की स्थापना के लिए" श्वेत पत्र के रूप में एक प्रस्ताव रखा.

अपूर्व चंद्रा ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों में संशोधन” के साथ एक “अविश्वसनीय मील का पत्थर” हासिल किया गया है. 

उन्होंने कहा, “यह समानता और एकजुटता बनाने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है जो भविष्य में महामारी के खतरों से दुनिया की रक्षा करने में मदद करेगा. यह हमारे बच्चों और नाती-नातिनों के लिए एक उपहार है. यह हमारे बच्चों और पोते-पोतियों के लिए एक उपहार है.”

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि "प्रस्ताव" को सभी सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी, जिससे एक जून को IHR (2005) में संशोधन को अपनाया लिया गया.

संशोधनों में अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) और महामारी आपातकाल (PE) के लिए तैयारी करने और प्रतिक्रिया देने में देशों की क्षमता में सुधार करना शामिल है.

(इनपुट एजेंसियों से)

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