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This Article is From Jun 06, 2025

भीषण संकट से घबराए पाकिस्तान ने भारत को लिखे एक के बाद एक 4 पत्र, जानिए क्या लगाई गुहार

पाकिस्तान सिंधु जल संधि को रोकने के भारत के फैसले को लेकर विश्व जनमत तैयार करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारतीय प्रतिनिधिमंडलों ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी थी.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ.
नई दिल्ली:

India Pakistan Relation: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते में तल्खी का दौर जारी है. इस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष का भी दौर चला. जिसमें दोनों तरफ से जान-माल का नुकसान हुआ. साथ ही दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सख्त पाबंदियां भी लगाई. भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि (Indus water Treaty) को रद्द कर दिया. भारत के इस फैसले से पाकिस्तान भारी टेंशन में है. सिंधु जल संधि के सस्पेंशन को समाप्त कर पहले जैसी स्थिति बनाने के लिए पाकिस्तान पूरजोर कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में पाकिस्तान ने बीते दिनों में भारत को एक के बाद एक 4 पत्र लिखे. इन सभी पत्रों का लब्बोलुआब यही है कि सिंधु जल संधि को रोकने के फैसले पर दोबारा विचार की जाए. 

भारत की दो-टूक: खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी लिखे पत्र में पाकिस्तान ने लिखा, भारत सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के फैसले पर दोबारा विचार करे. भारत ने पाकिस्तान की अपील यह कहते हुए ठुकराई कि ट्रेड और टेरर साथ नहीं चल सकते और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते. भारत के मुताबिक पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि की शर्तों का उल्लंघन किया है.

यह संधि गुड फेथ और फ्रेंडशिप में की गई थी. लेकिन पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इसकी मूल भावना के खिलाफ काम किया. भारत के फैसले पर वर्ल्ड बैंक दखल देने से इनकार कर चुका है.

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पाकिस्तान में भीषण संकट के आसार

सूत्रों के मुताबिक सिंधु जल संधि पर अमल न करने के फैसले से पाकिस्तान में भीषण संकट आ सकता है. अनुमान है कि पाकिस्तान में रबी की फसल को जबर्दस्त नुकसान पहुंच सकता है. इसके अलावा पीने के पानी का संकट खड़ा होने से आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है. हालांकि आकलन के अनुसार खरीफ फसलों पर अधिक विपरीत असर नहीं होगा.

सिंधु के पानी को लेकर भारत की क्या है तैयारी

सिंधु जल संधि को रोकने के बाद भारत अब पानी का बेहतर उपयोग करने की तैयारी में जुट गया है. सूत्रों के अनुसार ब्यास नदी का पानी अपने लिए इस्तेमाल करने के उद्देश्य से भारत एक दीर्घकालिक परियोजना पर काम कर रहा है. इसके तहत 130 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी जिससे गंग नहर को जोड़ा जाएगा. इसके लिए डीपीआर पर काम शुरू कर दिया गया है. संभावना है कि नहर निर्माण का कार्य अगले तीन साल में पूरा कर लिया जाए.

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इस नहर में 12 किलोमीटर की सुरंग बनाने का भी प्रस्ताव है. एक प्रस्ताव यह भी है कि इसे यमुना से जोड़ा जाए, अगर ऐसा होता है तो नहर की लंबाई 200 किलोमीटर हो जाएगी. इसके बाद यमुना के जरिए पानी गंगासागर तक भी पहुंचाया जा सकेगा. इस योजना से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों को बहुत फायदा पहुंचने की उम्मीद है.

कई देशों ने उठाया था मुद्दा

  • हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेशों की यात्रा करने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के सामने कई देशों ने यह मामला उठाया था.
  • दरअसल, पाकिस्तान सिंधु जल संधि को रोकने के भारत के फैसले को लेकर विश्व जनमत तैयार करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारतीय प्रतिनिधिमंडलों ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी थी.
  • भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने इसके लिए जवाब दिया कि यह संधि गुडविल और फ्रेंडशिप के तहत सितंबर 1960 में दोनों देशों के बीच हुई थी.
  • यह सिंधु जल संधि पाकिस्तान के पक्ष में थी और काफी उदार थी. लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देकर गुडविल और फ्रेंडशिप को तोड़ा है. 

भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध के बावजूद संधि बनी रही

मालूम हो कि सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच काफी पुरानी है. भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद भी इस संधि पर कोई असर नहीं पड़ा. लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए इस संधि को रद्द करने की घोषणा की. यह पचास और साठ के दशक की इंजीनियरिंग के हिसाब से की गई थी.  

मौजूदा मौसम परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने, नदियों में उपलब्ध जल की मात्रा, बढ़ती जनसंख्या और स्वच्छ ऊर्जा के लिए इसे रिनिगोशिएट करना जरूरी. 

भारत चाहता है संधि पर पुनर्विचार

सिंधु जल संधि को अब रिनिगोशिएट किया जाएगा. इसे भारत के हितों के अनुसार बनाया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार निचले इलाक़ों को पानी देना अनिवार्य है. भारत इन नियमों का उल्लंघन नहीं करेगा. लेकिन भारत अपने हिस्से का पानी लेगा. यह एक लंबी परियोजना है जिस पर काम होगा. 

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1960 में बनी संधि पाकिस्तान के लिए काफी उदार थी

यह तय है कि सितंबर 1960 में दोनों देशों के बीच हुई सिंधु जल संधि पाकिस्तान के पक्ष में थी और काफी उदार थी. यह इस बात पर निर्भर थी कि पाकिस्तान की ओर से कोई होस्टाइल गतिविधि न हो. 21वीं सदी की ज़रूरतों के हिसाब से इसे ठीक किया जाना चाहिए. यह पचास और साठ के दशक की इंजीनियरिंग के हिसाब से की गई थी. 

पाकिस्तान इसे रिनोगिशेएट करने में अड़ंगे डालता है. यह भी संधि के प्रावधानों का उल्लंघन है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि भारत संधि में अपने पक्षों और हितों को प्रमुखता से रखेगा. 

यह भी पढे़ं - Explainer: सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान के साथ चीन, पानी के संग्राम में समझिए भारत की रणनीति

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