चीन एक बार फिर भारत से चिढ़ गया है, अब वजह है आसियान शिखर सम्मेलन. लाओस में हो रहे इस शिखर सम्मेलन (Asean Summit) में भारत ने एक बार फिर से चीन को सबक सिखा दिया. पीएम मोदी ने चीन (PM Modi On China) का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीति पर जमकर प्रहार किया. पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि हमारी अप्रोच विकासवाद की होनी चाहिए, न कि विस्तारवाद की.
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समुद्री गतिविधियों पर चीन को सुनाया
पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में नेताओं ने कानूनी ढांचे के रूप में अनक्लोस के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस (UNCLOS) के तहत ही संचालित होनी चाहिए. फ्रीडम ऑफ नेविगेशन और एयर स्पेस सुनिश्चित करना जरूरी है. एक ठोस और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाना चाहिए. इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए.
चीन को भारत की नसीहत
बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं. हम अपने युवाओं का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम सबका मानना है कि 21वीं सदी 'एशियाई सदी' है. आज, जब दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव है,भारत और आसियान के बीच दोस्ती, समन्वय, संवाद और सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है.
जानें क्यों फिर चिढ़ गया चीन?
इतना ही सम्मेलन में शामिल दूसरे देशों ने भी दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन की नीति की आलोचना की. इससे चीन और भी चिढ़ गया है. सम्मेलन में शामिल सभी 10 देशों ने चीन की विस्तारवादी नीति की निंदा की और उसे खरी-खरी सुनाई. खास तौर पर सभी देश लाओस की राजधानी वियनतीयन में चीन की बढ़ती आक्रामकता से असहज नजर आए और इसकी आलोचना की.
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