प्रतीकात्मक इमेज
नई दिल्ली:
क्षयरोग (टीबी) के 27.9 लाख मामलों, इस रोग से 42.3 लाख लोगों की मौत और प्रति 1,00,000 लोगों में 211 नए संक्रमणों के कारण भारत इस समय दुनिया में टीबी रोगियों की सबसे बड़ी संख्या वाला देश है. एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. भारत में एमडीआर-टीबी रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है और बिना पहचान वाले टीबी रोगियों की संख्या भी कम नहीं है. ऐसे कई लाख मामले हैं, जिनकी पहचान ही नहीं हुई है, न ही इलाज शुरू हुआ और ये लोग अभी तक स्वास्थ्य विभाग के राडार पर ही नहीं हैं. टीबी एक बेहद संक्रामक बीमारी है. इसका इलाज पूरी अवधि के लिए तय दवाएं सही समय पर लेने से इसे ठीक किया जा सकता है. ड्रग रेजीमैन या दवा के इस पूरे कोर्स को डॉट्स कहा जाता है और इसे संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत मुफ्त प्रदान किया जाता है.
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यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि उच्च गुणवत्ता वाली एंटी-टीबी दवा की एक नियमित और निर्बाध आपूर्ति से बीमारी का इलाज हो सकता है और एमडीआर-टीबी की घटनाएं रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाना चाहिए.इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "टीबी भारत में जन-स्वास्थ्य की एक प्रमुख चिंता है. यह न केवल बीमारी और मृत्युदर का एक प्रमुख कारण है, बल्कि देश पर भी एक बड़ा आर्थिक बोझ भी है. इसके उन्मूलन के लिए जरूरी है कि 1,00,000 लोगों में एक से अधिक व्यक्ति को इसका नया संक्रमण न होने पाए. यह तभी संभव है जब रोगियों को बिना रुकावट दवा मिलती रहे और उनकी बीमारी का समय पर पता लगा लिया जाए."
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उन्होंने कहा कि इलाज में कोई भी रुकावट तेजी से एमडीआर-टीबी रोगी के जोखिम को बढ़ा सकती है. मिसिंग डोज डॉट्स थेरेपी के उद्देश्य को ही धराशायी कर देती है. पूरा इलाज न होने पर ऐसे मरीज अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं. डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, "सभी उल्लेखनीय रोगों को डायगनोज, ट्रीट, रिपोर्ट यानी डीटीआर के नियम से निदान, उपचार और रिपोर्ट होनी चाहिए. थूक की जांच व सीने का एक्सरे करके इसका निदान संभव है. फिर जल्दी से उपचार शुरू होना चाहिए. प्रभावी चिकित्सा के साथ ही रिपोर्टिग भी आवश्यक है."
यहां कुछ सुझाव हैं, जो टीबी संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं…
- छींकते, खांसते समय अपने मुंह या नाक के पास हाथ रख लें.
- जब आप खांसते, छींकते या हंसते हैं तब कपड़े या टिश्यू पेपर से अपना मुंह ढक लें. एक प्लास्टिक बैग में इस्तेमाल किए गए टिश्यू रख लें और उस पैकेट को सील करके कूड़े में फेंके.
- यह रोग होने पर काम पर या स्कूल में न जाएं.
- दूसरों के साथ निकट संपर्क से बचें.
- परिवार के अन्य सदस्यों से अलग कमरे में सोएं.
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- अपने कमरे को नियमित रूप से वेंटिलेट करें. टीबी छोटे बंद स्थानों में फैलता है.
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यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि उच्च गुणवत्ता वाली एंटी-टीबी दवा की एक नियमित और निर्बाध आपूर्ति से बीमारी का इलाज हो सकता है और एमडीआर-टीबी की घटनाएं रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाना चाहिए.इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "टीबी भारत में जन-स्वास्थ्य की एक प्रमुख चिंता है. यह न केवल बीमारी और मृत्युदर का एक प्रमुख कारण है, बल्कि देश पर भी एक बड़ा आर्थिक बोझ भी है. इसके उन्मूलन के लिए जरूरी है कि 1,00,000 लोगों में एक से अधिक व्यक्ति को इसका नया संक्रमण न होने पाए. यह तभी संभव है जब रोगियों को बिना रुकावट दवा मिलती रहे और उनकी बीमारी का समय पर पता लगा लिया जाए."
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उन्होंने कहा कि इलाज में कोई भी रुकावट तेजी से एमडीआर-टीबी रोगी के जोखिम को बढ़ा सकती है. मिसिंग डोज डॉट्स थेरेपी के उद्देश्य को ही धराशायी कर देती है. पूरा इलाज न होने पर ऐसे मरीज अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं. डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, "सभी उल्लेखनीय रोगों को डायगनोज, ट्रीट, रिपोर्ट यानी डीटीआर के नियम से निदान, उपचार और रिपोर्ट होनी चाहिए. थूक की जांच व सीने का एक्सरे करके इसका निदान संभव है. फिर जल्दी से उपचार शुरू होना चाहिए. प्रभावी चिकित्सा के साथ ही रिपोर्टिग भी आवश्यक है."
यहां कुछ सुझाव हैं, जो टीबी संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं…
- छींकते, खांसते समय अपने मुंह या नाक के पास हाथ रख लें.
- जब आप खांसते, छींकते या हंसते हैं तब कपड़े या टिश्यू पेपर से अपना मुंह ढक लें. एक प्लास्टिक बैग में इस्तेमाल किए गए टिश्यू रख लें और उस पैकेट को सील करके कूड़े में फेंके.
- यह रोग होने पर काम पर या स्कूल में न जाएं.
- दूसरों के साथ निकट संपर्क से बचें.
- परिवार के अन्य सदस्यों से अलग कमरे में सोएं.
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- अपने कमरे को नियमित रूप से वेंटिलेट करें. टीबी छोटे बंद स्थानों में फैलता है.
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