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हिंदुस्तान यही डिजर्व करता है... मुंबई अटैक के बाद हेडली से और क्या बोला था तहव्वुर, पढ़िए

मुंबई आतंकी हमले की जांच के क्रम में कई ऐसे राज खुले, जिससे तहव्वुर राणा की भूमिका और मंशा साफ हुई. जांच में यह साफ हुआ कि 26/11 हमले के बाद राणा ने तहव्वुर से कहा था- 'भारत के साथ यही होना चाहिए'.

मुंबई आतंकी हमले के दो अहम किरदार तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली.

Tahawwur Rana Interrogation: मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया जा चुका है. पाकिस्तान में जन्मा, 62 वर्षीय कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा अमेरिका की जेल में बंद था. प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत लाए जाने के बाद NIA द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है. तहव्वुर राणा पर भारत में 10 गंभीर आपराधिक मामलों में मुकदमा चलेगा, जिसमें साजिश, हत्या, आतंकी गतिविधियों में भागीदारी और फर्जीवाड़ा शामिल हैं. तहव्वुर राणा को भारत सौंपे जाने के मामले में यूस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का बयान सामने आया है. 

बयान में कहा गया कि अमेरिका ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के कथित साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को बुधवार को भारत को सौंप दिया है. 

26/11 आतंकी हमले में गई थी 166 लोगों की जान

मुंबई हमलों के दौरान 26 से 29 नवंबर, 2008 के बीच लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने शहर में 12 जगहों हमले किए थे, जिनमें 166 लोग मारे गए थे,जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. ट्रेन, स्टेशन, होटल, रेस्तरां और यहूदी केंद्र को निशाना बनाया गया था. हमले में सैकड़ों लोग घायल हुए और शहर को 1.5 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ.

इमिग्रेशन बिजनेस की फर्जी शाखा, हेडली को बनाया मैनेजर

भारत का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को हमले की योजना बनाने और जगहों की रेकी करने में मदद की. राणा ने मुंबई में अपने इमिग्रेशन बिजनेस की फर्जी शाखा खोली और हेडली को उसका मैनेजर नियुक्त किया. दो बार फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए वीज़ा आवेदन दायर कराए गए.

तहव्वुर राणा के बयान से साफ हुई उसकी भूमिका और मंशा

मुंबई आतंकी हमले की जांच के क्रम में कई ऐसे राज खुले, जिससे तहव्वुर की भूमिका और मंशा साफ हुई. जांच के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने आतंकी हमलों के बाद हेडली से कहा था कि "भारतीयों का यही होना चाहिए था".  यही नहीं तहव्वुर राणा ने इस हमले में भारतीय जवानों द्वारा मारे गए आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान "निशान-ए-हैदर" दिए जाने की मांग भी की थी.

2013 में डेनमार्क आतंकी हमले में मिली थी 14 साल की सजा

यह पहला मौका नहीं है जब राणा पर आतंकी साजिश का आरोप लगा हो. 2013 में अमेरिका की एक अदालत ने उसे लश्कर-ए-तैयबा को मदद देने और डेनमार्क में हमले की साजिश रचने के लिए 14 साल की सज़ा सुनाई थी. वहीं, हेडली को 35 साल की जेल हुई थी.

भारत नहीं आने के लिए सभी तिकड़म अपनाए

भारत ने जून 2020 में अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी, जिसका राणा ने लगातार कानूनी चुनौती दी. लेकिन अमेरिकी अदालतों, अपीलीय न्यायालय और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. अंततः 9 अप्रैल 2025 को अमेरिकी मार्शल सर्विस ने उसे भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया

राणा का भारत लाना बड़ी कूटनीतिक जीत

यह प्रत्यर्पण अमेरिकी न्याय विभाग, एफबीआई, विदेश मंत्रालय और नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के सहयोग से संभव हुआ. 2008 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया जाना भारतीय कूटनीति की बड़ी उपलब्धि कही जा रही है. 

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