जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्वक मनाया गया स्वतंत्रता दिवस, नहीं हुई कोई 'अप्रिय घटना' : रोहित कंसल

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद जारी प्रतिबंधों के बीच स्वतंत्रता दिवस समारोह शांतिपूर्वक मनाया गया.

जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्वक मनाया गया स्वतंत्रता दिवस, नहीं हुई कोई 'अप्रिय घटना' : रोहित कंसल

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने लोगों को भरोसा दिलाया कि उन्हें अपनी पहचान के लिए डरने की जरूरत नहीं है.

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद जारी प्रतिबंधों के बीच स्वतंत्रता दिवस समारोह शांतिपूर्वक मनाया गया. प्रशासन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि स्वतंत्रता दिवस समारोह बिना किसी घटना के मनाया गया. जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने कहा, 'मुख्य समारोह श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में आयोजित किया गया था, जहां राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने झंडा फहराया. कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हुआ. सभी जिलों में समारोह आयोजित किए गए. पूरा दिन घटना-मुक्त था. बता दें कि नवगठित केंद्र शासित प्रदेश (UT) जम्मू-कश्मीर ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद अपना पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया है.

इससे पहले दिन में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने तिरंगा फहराया और लोगों को भरोसा दिलाया कि विशेष दर्जे की वापसी के संबंध में केंद्र के फैसले के बाद उन्हें अपनी पहचान के लिए डरने की जरूरत नहीं है. केंद्र के ओर से किए गए बदलाव को ऐतिहासिक करार देते हुए राज्यपाल मलिक ने कहा कि इससे विकास के नए रास्ते खुलेंगे और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के विभिन्न समुदायों को अपनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, 'ये बदलाव आर्थिक विकास और समृद्धि की बाधाओं को दूर करेंगे.' 

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राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में झंडा फहराया.

राज्यपाल ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि पिछले सभी चुनावों में लोगों का ध्यान रोटी, कपड़ा और मकान के मुद्दे पर नहीं लाया गया. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद पहले स्वतंत्रता दिवस पर शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, 'पिछले 70 साल में लोगों का ध्यान आर्थिक विकास, शांति और समृद्धि के मुख्य मुद्दों से भटकाया गया. इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय लोगों को व्यर्थ मुद्दों में उलझाए रखा गया.' इस समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी शामिल हुए.

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मलिक ने कहा कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेहतर प्रशासन, आत्मनिर्भरता और रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही देश के अन्य हिस्सों के साथ एकता और समानता का भाव पैदा होगा. राज्यपाल ने कहा, 'मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उनकी पहचान न तो दांव पर है और न ही इसमें छेड़छाड़ हो रही है. भारतीय संविधान क्षेत्रीय पहचान को समृद्ध करने की इजाजत देता है. किसी को भी इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद उनकी पहचान खत्म हो जाएगी. इस कदम का इस्तेमाल राज्य के भीतर अपनी भाषा,संस्कृति और पहचान को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है.'

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(इनपुट: भाषा और ANI से भी)