कुकी-ज़ो-चिन जनजातियों की सिविल सोसाइटी समूह मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न के लिए मणिपुर सरकार के आह्वान में शामिल नहीं हुई और राज्य की राजधानी इंफाल से 65 किमी दूर कुकी-बहुमत चुराचांदपुर में अपना स्वयं का उत्सव आयोजित किया.
ज़ोमी काउंसिल संचालन समिति के चिंखेनपाउ ने कहा, "इन समारोहों द्वारा, हमने दिखाया है कि हम मणिपुर सरकार से अलग हैं और हम खुद शासन कर सकते हैं. हम शेष भारत को दिखाना चाहते हैं कि हम भारतीय संघ के तहत एक अलग इकाई बनना चाहेंगे."
What has the unified command done about this open display of deadly weapons - toy gun as Kuki claims? If others too form such militia, will they be also allowed to display their illegal might in national parades? Will we allow 'Ranbir Sena' or 'Bhim Army' etc to do similar act. https://t.co/kg7P952IET
— Lt Gen L Nishikanta Singh (R) (@VeteranLNSingh) August 15, 2023
सामने आए कार्यक्रम के विजुअल में युवाओं को सैन्य युद्ध पोशाक में 'असॉल्ट राइफलें' थामे मार्च करते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने कुकी विद्रोही समूह ज़ोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी (जेडआरए) के कंधे या छाती पर पट्टी बांधी, जिसके साथ मणिपुर सरकार ने पहाड़ी-बहुसंख्यकों के बीच हिंसा भड़कने से दो महीने पहले इस साल मार्च में ऑपरेशन निलंबन (एसओओ) समझौते को समाप्त कर दिया था.
गौरतलब है कि कुकी और घाटी-बहुसंख्यक मैतेई लोगों के बीच अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई लोगों की मांग पर विवाद हो गया है. कुकी नागरिक समाज समूहों ने दावा किया कि मार्च में भाग लेने वाले युद्धक पोशाक वाले लोग "ग्राम रक्षा स्वयंसेवक" थे और बंदूकें असली नहीं थीं.
हालांकि, चुराचांदपुर घटना के प्रकाशिकी ने 'सशस्त्र' लोगों की भागीदारी का संकेत दिया, जिसने तीन महीने तक चले जातीय संघर्ष के बाद तनावपूर्ण माहौल के बीच मणिपुर में बड़े पैमाने पर विवाद को जन्म दिया है. आए दिन छिटपुट झगड़े की खबरें आती रहती हैं.
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