सांकेतिक तस्वीर
इटानगर/नई दिल्ली:
लद्दाख सेक्टर के बाद चीनी सैनिक इस महीने की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र में भारतीय भूभाग के भीतर 45 किलोमीटर अंदर तक आ गए. चीनी सैनिकों ने दावा करने के लिए अस्थायी शिविर का निर्माण किया कि वह भूभाग उनका है. इलाके से मिली रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
अंजॉ जिले से शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार 40 चीनी सैनिकों ने इस महीने की शुरुआत में जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा से 45 किलोमीटर अंदर अस्थायी शिविर 'प्लम पोस्ट' स्थापित किया. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि घुसपैठ का आईटीबीपी के संयुक्त गश्ती दल और सेना ने नौ सितंबर को पता लगाया. इसके बाद जरूरी बैनर अभ्यास किया गया.
हालांकि, चीनी सैनिक उस स्थान को छोड़ने को लेकर अनिच्छुक थे और दावा किया कि वह स्थान उनका है. सूत्रों ने बताया कि 'प्लम पोस्ट' पर हर साल चीनी सैनिक कम से कम दो से तीन बार लगातार घुसपैठ का प्रयास करते हैं. लेकिन यह पहला मौका है जब वे इस इलाके में घुसे हैं.
सूत्रों ने बताया कि कुछ चीनी सैनिक 13 सितंबर को चले गए और अन्य चीनी पक्ष से 14 सितंबर को हुई फ्लैग बैठक के बाद चले गए. इस इलाके में चीनी पक्ष की तरफ से बार-बार घुसपैठ की कोशिशों को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों की एक अक्टूबर को फिर से बैठक होगी.
सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों को 'प्लम पोस्ट' तक पहुंचने के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है, जबकि भारतीय सैनिक बड़ा हिस्सा जीप ट्रैक से तय करते हैं और उसके बाद कुछ दूरी पैदल चलकर तय करनी पड़ती है. चीनी सैनिक पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में घुस गए थे, लेकिन वे वापस चले गए थे.
वैसे सेना के सूत्रों ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि ये एलएसी का इलाका पहले से विवादित है. इस जगह को लेकर दोनों देश अपना-अपना दावा करते हैं. फिस टेल इसी तरह का विवादित इलाका है जहां ये घटना हुई है. इस इलाके में भारत और चीन की सेनाएं पेट्रोलिंग करती हैं. इनके बीच कई बार आमना-सामना भी होता है. इस विवाद को बॉर्डर मैनेंजमेंट के जरिए सुलझा लिया गया और चीनी सेना वापस चली गई.
- साथ में एजेंसी इनपुट
अंजॉ जिले से शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार 40 चीनी सैनिकों ने इस महीने की शुरुआत में जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा से 45 किलोमीटर अंदर अस्थायी शिविर 'प्लम पोस्ट' स्थापित किया. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि घुसपैठ का आईटीबीपी के संयुक्त गश्ती दल और सेना ने नौ सितंबर को पता लगाया. इसके बाद जरूरी बैनर अभ्यास किया गया.
हालांकि, चीनी सैनिक उस स्थान को छोड़ने को लेकर अनिच्छुक थे और दावा किया कि वह स्थान उनका है. सूत्रों ने बताया कि 'प्लम पोस्ट' पर हर साल चीनी सैनिक कम से कम दो से तीन बार लगातार घुसपैठ का प्रयास करते हैं. लेकिन यह पहला मौका है जब वे इस इलाके में घुसे हैं.
सूत्रों ने बताया कि कुछ चीनी सैनिक 13 सितंबर को चले गए और अन्य चीनी पक्ष से 14 सितंबर को हुई फ्लैग बैठक के बाद चले गए. इस इलाके में चीनी पक्ष की तरफ से बार-बार घुसपैठ की कोशिशों को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों की एक अक्टूबर को फिर से बैठक होगी.
सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों को 'प्लम पोस्ट' तक पहुंचने के लिए घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है, जबकि भारतीय सैनिक बड़ा हिस्सा जीप ट्रैक से तय करते हैं और उसके बाद कुछ दूरी पैदल चलकर तय करनी पड़ती है. चीनी सैनिक पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में घुस गए थे, लेकिन वे वापस चले गए थे.
वैसे सेना के सूत्रों ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि ये एलएसी का इलाका पहले से विवादित है. इस जगह को लेकर दोनों देश अपना-अपना दावा करते हैं. फिस टेल इसी तरह का विवादित इलाका है जहां ये घटना हुई है. इस इलाके में भारत और चीन की सेनाएं पेट्रोलिंग करती हैं. इनके बीच कई बार आमना-सामना भी होता है. इस विवाद को बॉर्डर मैनेंजमेंट के जरिए सुलझा लिया गया और चीनी सेना वापस चली गई.
- साथ में एजेंसी इनपुट
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