केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख दो सदस्यीय न्यायिक समिति के समक्ष पेश हुए, जिसका गठन महाराष्ट्र सरकार ने आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच के लिए किया है।
                                            
                                            क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
 हमें बताएं।
                                        
                                        
                                                                                मुंबई: 
                                        केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख दो सदस्यीय न्यायिक समिति के समक्ष पेश हुए, जिसका गठन महाराष्ट्र सरकार ने आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच के लिए किया है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री देशमुख उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे जब विवादास्पद सोसायटी को महत्वपूर्ण मंजूरी दी गई, कथित तौर पर पर्यावरण एवं अन्य नियमों में।
वर्ष 1999 से 2003 तक और 2004 से 2008 तक राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे देशमुख गवाह के तौर पर न्यायिक आयोग के समक्ष पेश हुए।
सोसायटी को भूमि के आवंटन का फैसला और इसमें अतिरिक्त ‘फ्लोर स्पेस इंडेक्स’ (एफएसआई) की मंजूरी का फैसला उनके मुख्यमंत्रित्व काल में ही लिया गया था और शहरी विकास विभाग भी उनके पास था।
यह भी आरोप है कि उन्होंने रक्षा अधिकारियों के पक्ष में 15 साल के मूल निवास कानून में ढील दिए जाने को भी मंजूरी दी थी।
सोमवार को समिति के समक्ष अपनी गवाही में केंद्रीय बिजली मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने यह कहकर आरोप देशमुख पर मढ़ने की कोशिश की थी कि सोसायटी को भूमि आवंटित करने और अतिरिक्त एफएसआई के फैसले उन्हीं के कार्यकाल में लिए गए थे।
हालांकि, आयोग पहले ही यह निष्कर्ष दे चुका है कि जमीन राज्य सरकार की है, न कि रक्षा मंत्रालय की, यह अब इस चीज को देख रहा है कि क्या सोसायटी को विभिन्न तरह की मंजूरी प्रदान करते समय किसी नियम की अनदेखी की गई।
मामले में आरोपी एक अन्य मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेए पाटिल के नेतृत्व वाले इस आयोग के समक्ष 30 जून को पेश होंगे।
इसके अतिरिक्त, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग भी कथित अनियमितताओं की जांच कर रहे हैं।
                                                                        
                                    
                                केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री देशमुख उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे जब विवादास्पद सोसायटी को महत्वपूर्ण मंजूरी दी गई, कथित तौर पर पर्यावरण एवं अन्य नियमों में।
वर्ष 1999 से 2003 तक और 2004 से 2008 तक राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे देशमुख गवाह के तौर पर न्यायिक आयोग के समक्ष पेश हुए।
सोसायटी को भूमि के आवंटन का फैसला और इसमें अतिरिक्त ‘फ्लोर स्पेस इंडेक्स’ (एफएसआई) की मंजूरी का फैसला उनके मुख्यमंत्रित्व काल में ही लिया गया था और शहरी विकास विभाग भी उनके पास था।
यह भी आरोप है कि उन्होंने रक्षा अधिकारियों के पक्ष में 15 साल के मूल निवास कानून में ढील दिए जाने को भी मंजूरी दी थी।
सोमवार को समिति के समक्ष अपनी गवाही में केंद्रीय बिजली मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने यह कहकर आरोप देशमुख पर मढ़ने की कोशिश की थी कि सोसायटी को भूमि आवंटित करने और अतिरिक्त एफएसआई के फैसले उन्हीं के कार्यकाल में लिए गए थे।
हालांकि, आयोग पहले ही यह निष्कर्ष दे चुका है कि जमीन राज्य सरकार की है, न कि रक्षा मंत्रालय की, यह अब इस चीज को देख रहा है कि क्या सोसायटी को विभिन्न तरह की मंजूरी प्रदान करते समय किसी नियम की अनदेखी की गई।
मामले में आरोपी एक अन्य मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेए पाटिल के नेतृत्व वाले इस आयोग के समक्ष 30 जून को पेश होंगे।
इसके अतिरिक्त, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग भी कथित अनियमितताओं की जांच कर रहे हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
                                        Ideal Case, Commission Clarified Deshmukh, विलासराव देशमुख, देशमुख ने दी सफाई, आदर्श मामले में दी आयोग को सफाई
                            
                        